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Wednesday, March 13, 2013

ठाकुरजी की प्रतिमाओं पर तुर्रा किलंगी से दूल्हा सा विशेष श्रृंगार



बीकानेर, 12 मार्च। जगद्गुरु  पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्री वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन) का 41 वां प्रागट्य दिन महोत्सव बुधवार को राज रतन बिहारी मंदिर परिसर में  मार्कण्डेय पूजा, केसर स्नान  तथा भक्ति संगीत के साथ  मनाया गया।
         बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने गुरु का वंदन, अभिनंदन किया तथा लम्बी आयु के यशस्वी जीवन जीने तथा  धर्म की पताका चारों और फैलाने की कामना की। प्रागट्य दिन महोत्सव  पर श्री राज रतन बिहारीजी मंदिर दाऊजी मंदिर में ठाकुरजी की प्रतिमाओं पर तुर्रा किलंगी से दूल्हा सा विशेष श्रृंगार किया गया।
            श्री राज रतन बिहारी मंदिर में जूनागढ़,
गुजरात के पंडित मयूर उपाध्याय के नेतृत्व में वेदपाठी वैष्णवी ब्राह्मणों ने मार्कण्डेंय पूजन  विधान में आयुष्य के दाता भगवान गणेश, हनुमान, बलि, व्यास, विभीषण,,परशुराम  अश्वथामा कृपाचार्य सहित अष्ट चिरंजीवी पूजा करवाई। पूर्व में कच्चे दूध, पुष्प से अभिषेक कर पंचम पीठाधीश्वर ने केसरी वस्त्रा आभूषण  धारण किए। पंडितों ने परम्परानुसार  वैदिक मंत्रोंच्चारण से पूजन करवाया तथा उनके ग्रह, योग नक्षत्रा के की स्थिति का वांचन  किया। तिलक आरती की गई उनके पुत्रा देवकी नंद बाबा बिट्ठलनाथ बाबा ने उपस्थित ब्राह्मणों तिलक कर आशीर्वाद लिया।
             शाम को केसर स्नान का आयेाजन हुआ जिसमें श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु वल्लभाचार्यजी के चरण को केसर से धोकर आशीर्वाद प्राप्त किया। केसर स्नान के इस मनोरथ के दौरान श्रद्धालुओं ने केसर के उष्णोदक जल से आपश्री के चरणारविंद प्रक्षालन करके  भेंट धराई। देर तक चले इस कार्यक्रम के दौरान नर-नारियों की कतार सी लगी थी।  श्री राज रतन बिहारी मंदिर में जगद्गुरुजी के सान्निध्य में नारायण दास रंगा का हवेली संगीत में फाग रसिया का गायन फाग उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
पुस्तक का विमोचन-     जगद्गुरु  पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्री वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन) ने बुधवार को श्री राज रतन बिहारी मंदिर में डॉ.गोपाल नारायण व्यास की पुस्तक श्रीमद् भागवत सुबोध रस मंजरी भाग दो संस्करण का विमोचन किया।
जगद्गुरु पंचम पीठाधीश्वर का संक्षिप्त परिचय- पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी वल्लभाचार्य का जन्म मुंबई के घाट कोपर में आचार्य श्री गिरधर लालजी जयलक्ष्मी के घर फाल्गुन सुदी 2 विक्रम संवत 2019 (6 मार्च 1973 ) को हुआ। पुष्टिमार्गीय परम्परा की प्रतिष्ठा करने वाले वाले वल्लभाचार्य जी की 19 वीं पीढ़ी के गोस्वामी वल्लभाचार्यजी 516 वर्ष बाद जगद्गुरु का सम्मान प्राप्त करने वाले पहले  पुष्टिमार्गी आचार्य है। वर्ष 2008 में इनको कठिन परीक्षाओं के बाद नागा साधुओं ने जगदगुरु पद से अलंकृत किया। एम.. मनो विज्ञान, एम.. अंग्रेजी साहित्य, ंआंतरिक सज्जा में डिप्लोमा प्राप्त, पखावज वादन में विशारद प्राप्त गोस्वामी वल्लभचार्यजी की पुस्तक ’’ तीखे मगर तारक उपदेश’’ के हिन्दी, अंग्रेजी गुजराती में संस्करण प्रकाशित हो चुके है। जगद्गुरुजी को  छतीसगढ़,पंजाब, हरियाणा, दक्षिण भारत के राज्यों सहित देश के 19 राज्यों में राज्य अतिथि का दर्जा प्राप्त है। ये हिन्दू आचार्य महासभा के प्रमुख युवा आचार्यों में एक है।
 पाटोत्सव-हिन्दुस्तान में अपने आप में अलग पहचान रखने वाले श्री रात रतन बिहारी मंदिर का 161 वां पाटोत्सव 14 मार्च 2013 गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह साढ़े ग्यारह बजे तिलक, दोपहर बारह बजे नंदोत्सव शाम सात बजे विवाह खेल दर्शन का आयोजन होगा।
  छप्पन भोग- मंदिर में 15 मार्च शुक्रवार को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाएगा। छप्पन भोग की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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