मथुरा। चतुर्वेदी समाज का डोला निकलने के साथ ही मथुरा शहर मंगलवार को उत्साह-उमंग के रंग सराबोर हो उठा। डोले का आनंद विदेशियों ने भी उठाया। सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के अनुसार निकली इस शोभायात्रा [डोला] में शामिल लोग जिंदगी की उदासियों को भुलाकर खुशियों के रंग में रंग गए।
डोले की शुरुआत यमुना जी के प्राचीन विश्राम घाट पर पूजा अर्चना के साथ हुई। शोभा यात्रा में सबसे आगे भगवान श्रीगणेश, मां यमुना की झांकी थी, इसके आगे सैकड़ों श्रद्धालु होली गीतों पर नाच रहे थे। इसके बाद बैंड बाजों के साथ तटिया स्थान के गुरू जी राधा चरन दास महाराज की झांकी के साथ श्रद्धालु अबीर-गुलाल उड़ाते चल
रहे थे। गुलाल के रंग से पूरा शहर रंगीन हो गया था। सभी झांकियां देखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली खेलते हुए सजी झांकी ने सभी का मन मोह लिया।
श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान और श्री द्वारिकाधीश जी की झांकी भी इस शोभा यात्रा की रौनक बढ़ा रही थीं। बैंड की धुनों पर युवा खुद को थिरकने से नहीं रोक पाए। चतुर्वेदी समाज के लोग भी धार्मिक चौपाईयां गा रहे थे। वापस विश्राम घाट पहुंचने पर शोभायात्रा का इसका समापन माथुर चतुर्वेद परिषद के मुख्य संरक्षक महेश पाठक ने राधा-कृष्ण जी की आरती उतारकर किया। शोभा यात्रा का पूरे मार्ग पर जोरदार स्वागत हुआ।
गोविंद दरबार में उड़ी गुलाल और अबीर
जयपुर। शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में मंगलवार को होली के रंग बिखरे। भक्तों ने ठाकुरजी संग होली खेली। इस दौरान मंदिर परिसर राधे बोलो जय गोविंद बोलो के उद्घोष से गूंजायमान होता रहा।
इससे पहले सुबह मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने मंत्रोच्चार के साथ ठाकुरजी को गुलाल अर्पित की। इसके बाद रंग भरी पिचकारी से प्रभु को रंगों से सराबोर किया। इसके बाद महंत ने भक्तों पर अबीर गुलाल और पिचकारियों से रंगों की बौछार की तो मंदिर परिसर में होली की धमाल मची। प्रभु संग होली खेलने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने प्रभु के साथ होली खेली तो वातावरण होली के पवित्र रंगों से खुशरंगों से महक उठा।
होली आमतौर पर विभिन्न प्रकार के रंगों और अबीर-गुलाल से ही खेली जाती है, लेकिन चंदन की होली खेलने का मजा ही कुछ और होता है। रंगों की होली खेलने से जहां लोग कतराते हैं वहीं चंदन की होली खेलने के लिए खुद आगे चलकर आते हैं।
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