बीकानेर,
9 मार्च। जगद्गुरु पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन) के सान्निध्य में श्री राज रतन बिहारी मंदिर के 161 वें पाटोत्सव के तहत शनिवार को शुरू हुए 108 कुंडीय श्री विष्णु महायज्ञ में वैदिक मंत्रों की गूंज रही। बड़ी संख्या में वल्लभ व सनातन समुदाय के श्रद्धालुओं ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा की।
जगद्गुरु पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन), यज्ञ के प्रधान यज्ञाचार्य राजेन्द्र किराडू व गुजरात के जूनागढ़ के पंडित मयूर उपाध्याय के नेतृत्व में श्री राज रतन बिहारी जी मंदिर से यज्ञ मंडल स्थल तक सुबह नौ बजे शोभायात्रा निकली । शोभायात्रा में शामिल गोस्वामी वल्लभाचार्य व प्रभु का जयकारा लगा रहे थे। , यज्ञ स्थल पर 108 जोड़ों को पंडित राजेन्द्र किराडू व उनकी 151 वेदपाठी ब्राह्मणों को गुरु स्मरण, स्वति वाचन रक्षा विधान, घंटा, दीपक, षोडश मातृका, , विभिन्न कोण,
वास्तु, योगिनी, क्षेत्रापाल, नवग्रह, रुद्र कलश, क्षेत्रापाल, ब्रह्मा, मंडप, षोडश स्तम्भ, सभी तोरणों, सर्वतोभ्रद मंडल आदि का पूजन करवाया। जगद्गुरु पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन) व उनकी लीला सहधर्मिणी, विद्या बहूजी व दोनों पुत्रों पुत्रा देवकी नंद बाबा व बिट्ठल नाथ बाबा ने प्रधान कुंड मेें पूजन करवाया तथा लोगों में मानवीयता, परोपकार की भावना प्रतिष्ठित करने तथा सबकी सुख, समृद्धि
के लिए आहूतियां दी।
मंदिर के व्यवस्थापक ब्रजेश गोस्वामी ने बताया कि यज्ञ के दौरान सुबह ग्यारह बजे से डेढ़ बजे तक व दोपहर ढाई बजे से पांच बजे तक 11 मार्च तक एक लाख 60 हजार पुरुष सूक्त मंत्रों से आहूतियां दी जाएगी। बीकानेर के रतन बिहारी मंदिर के पीछे पहली बार होने वाले यज्ञ में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं। जगद््गुरु उपाधि प्रदान दिवस
पर अभिनंदन व शुभकामना नागा साधुओं से पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी वल्लभाचार्यजी महाराज (कामवन) द्वारा जगदगुरु की उपाधि के प्रदान दिवस अनेक श्रद्धालुओं ने पुष्पामालाओं आदि से अभिनंदन किया तथा उनको शुभकामनाएं दी। तिथि अनुसार जगदगुरु प्रागट्यसदिन महोत्सव 13 मार्च बुधवार को मनाया जाएगा। बुधवार को सुबह साढ़े ग्यारह बजे मार्कडेय पूजा, शाम साढ़े चार बजे केसर स्नान का आयोजन होगा। अपने अभिनंदन अवसर पर उन्होंने प्रवचन में कहा कि पुष्टिमार्ग एक प्रेम मार्ग है और वही प्रेम की परम तत्व समान है। श्रीजी की सेवा का अर्थ प्रभु के प्रति हमारा प्रेम का समर्पण है। शास्त्रा में भी प्रेम को रस और रसरूप ब्रह्म कहा गया है। वही प्रेम समस्त जड़, चेतन, स्थावर, जंगन और संसार की सभी चीज में क्रिया के रूप में व्याप्त है। प्रेम के सिवाय किसी भी चीज का अस्तित्व नहीं है। इसी लिए वल्लभाचार्यजी ने इस प्रेम मार्ग को प्रचलित किया। निकुंज लीलानायक, प्रेमावतार, रसिक शिरोमणी, प्रभु के प्रति प्रेम करना अर्थात सेवा करना ही प्राणी मात्रा का प्रथम और अंतिम कर्तव्य है। पाटोत्सव हिन्दुस्तान में अपने आप में अलग पहचान रखने वाले श्री रात रतन बिहारी मंदिर का 161 वां पाटोत्सव 14 मार्च 2013 गुरुवारक ो मनाया जाएगा। इस दिन सुबह साढ़े ग्यारह बजे तिलक, दोपहर बारह बजे नंदोत्सव व शाम सात बजे विवाह खेल दर्शन का आयोजन होगा। मंदिर में 15 मार्च शुक्रवार को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाएगा। छप्पन भोग की तैयारियों के लिए डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानीय व कामवन से आए हलवाई कार्य कर रहे हैं। पाटोत्सव पर रतन बिहारी मंदिर के साथ दाऊजी मंदिर में रंग बिरंगी रोशनी की गई है। अनेक श्रद्धालु गुजरात, कामवन व देश के विभिन्न इलाकों से आएं है।
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