बीकानेर, 10 मार्च। राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी एक सशक्त और समृद्ध भाषा है। सैकड़ों वर्षों से राजस्थानी में साहित्य का सृजन किया जा रहा है। इसका विशाल शब्दकोष भी उपलब्ध है।
डॉ कल्ला रविवार को वेटरनरी ऑडिटोरियम में राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी के सालीणा जळसे (वार्षिक उत्सव) को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। सामूहिक प्रयासों से ही राजस्थानी की मान्यता का मार्ग प्रशस्त होगा तथा राजस्थान के लोगों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। वहीं पूरे विश्व में राजस्थानी की पताका फहरेगी। उन्होंने कहा कि अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा और साहित्य के क्षेत्रा में अनुकरणीय कार्य हो रहे हैं लेकिन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए और अधिक
प्रयास होने चाहिए। डॉ कल्ला ने राजस्थानी सभ्यता और संस्कृति से संबंधित एक संग्रहालय स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इसमें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों की वेशभूषा, आभूषण, रहन-सहन और खान-पान के तरीकों तथा पुरानी पांडुलिपियों का संग्रहण आमजन के अवलोकनार्थ रखा जा सकता है।
प्रयास होने चाहिए। डॉ कल्ला ने राजस्थानी सभ्यता और संस्कृति से संबंधित एक संग्रहालय स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इसमें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों की वेशभूषा, आभूषण, रहन-सहन और खान-पान के तरीकों तथा पुरानी पांडुलिपियों का संग्रहण आमजन के अवलोकनार्थ रखा जा सकता है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ हबीब खां गौराण ने कहा कि राजस्थानी निर्विवाद रूप से जन-जन की भाषा है। राजस्थान का साहित्य और परम्पराओं का खजाना किसी भी समृद्ध भाषा के मुकाबले हल्का नहीं है। राजस्थानी संस्कृति अत्यंत परिपक्व है तथा विश्व में अग्रणी है, इसके कईं अकाट्य तर्क मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थितियों जैसे विषयों को पूरी प्राथमिकता दी जा रही है। परीक्षा में इनसे संबंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे। वहीं उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के जमाने में राजस्थानी भाषा को भी इससे जोड़ना चाहिए। इसके लिए राजस्थानी के शब्दकोष को ‘वीकीपीडिया’ की तर्ज पर ‘राजपीडिया’ विकसित करने की बात उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति राजस्थानी के वैभव को जान सकेगा।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप सिंह बारेठ ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर अधिक से अधिक शोध कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमडीएस विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को ‘स्कूल ऑफ राजस्थान स्टडी’ स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा हुआ है। यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो यह अपने आप में पहला ऐसा स्कूल होगा। इससे युवाओं को भाषा, साहित्य और संस्कृति के अध्ययन के नए अवसर मिलेंगे।
उन्होंने युवा पीढ़ी को साहित्य के क्षेत्रा में आगे आने का आह्वान किया।
नगर निगम के महापौर भवानी शंकर शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति का भविष्य उज्ज्वल है। इसमें सृजन की असीम संभावनाएं विद्यमान है। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा भी साहित्य के क्षेत्रा में श्रेष्ठ कार्य करने वाले दिवंगत साहित्यकारों के नाम से चौराहों और मार्गों का नामकरण कर उनका सम्मान किया जा रहा है। इससे युवाओं को उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा मिलेगी।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि अकादमी द्वारा गत सवा साल में तीन बड़े समारोह आयोजित किए जा चुके हैं। वहीं तीन नए पुरस्कार भी शुरू किए गए हैं। पूर्व में दिए जाने वाले पुरस्कारों की राशि में बढ़ोतरी की गई है। इनमें राजस्थानी साहित्यिक पत्राकारिता, महिला तथा युवा लेखक पुरस्कार सम्मिलित हैं। वहीं इस बार भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्रा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया गया है। इसी प्रकार 11 वरिष्ठ साहित्यकारों को आगीवाण सम्मान से भी नवाजा गया है।
वर्ष 2011-12 के राजस्थानी भाषा सम्मान से सम्मानित होने वाले राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत के प्रयासों से साहित्यकारों और पत्राकारों के कल्याण के लिए अनेक नईं योजनाएं तथा कार्यक्रम शुरू हुए हैं। सरकार द्वारा भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास के लिए प्रतिवर्ष 76 करोड़ रूपये उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। पहली बार साहित्यकार और पत्राकार कल्याण कोष का बजट पहले की अपेक्षा दुगुना कर दिया गया है। इस क्षेत्रा में कार्य करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को राजस्थान रत्न से नवाजा गया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को आगे आते हुए साहित्यिक पुनर्जागरण अभियान चलाना होगा।
सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार प्राप्त करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आईदान सिंह भाटी ने कहा कि ओज तत्व राजस्थानी साहित्य की मुख्य पहचान रही है। हमें पुनः उसी और बढ़ना होगा। आगीवाण सम्मान प्राप्त करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मदन केवलिया ने कहा कि राजस्थानी के बढते हुए प्रभाव को देखते हुए इसे मान्यता मिलना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सांस्कृतिक वातावरण भी तैयार करना होगा। प्रवासी राजस्थानी साहित्यकार सम्मान प्राप्त करने वाले राजकोट के डॉ अम्बादान रोहड़िया ने कहा कि आज पूरी दुनिया में लगभग दस करोड़ लोग राजस्थानी को बोलचाल की भाषा के रूप में काम लेते हैं। सौराष्ट्र विश्वविद्यालय द्वारा चारण साहित्य पर डिप्लोमा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह राजस्थानी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
साहित्यकार हुए सम्मानित
इस अवसर पर अतिथियों ने माला, शॉल, प्रतीक चिन्ह, सम्मान पत्रा और सम्मान राशि प्रदान कर विभिन्न साहित्यकारों को सम्मानित किया। इनमें सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार जोधपुर के डॉ आईदान सिंह भाटी को ‘आंख हींयै रा हरियल सपना’ के लिए प्रदान किया गया। गणेशी लाल व्यास ‘उस्ताद’ पद्य पुरस्कार अजमेर के डॉ विनोद सोमाणी ‘हंस’ को ‘म्हैं अभिमन्यु’ के लिए, शिव चंद भरतिया गद्य पुरस्कार डॉ गोविंद शंकर शर्मा को ‘राजस्थानी भाषा शास्त्रा’ के लिए, मुरलीधर व्यास राजस्थानी (कथा) साहित्य पुरस्कार प्रमोद कुमार शर्मा को ‘राम जाणै’ के लिए, सांवर दइया पैली पोथी पुरस्कार जोधपुर की किरण राजपुरोहित ‘नितिला’ को ‘ज्यूं सैणी तितली’ के लिए, जवाहर लाल नेहरू राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार सलूंबर की डॉ विमला भण्डारी को ‘अणमोल भेंट’ के लिए, राजस्थानी साहित्यिक पत्राकारिता पुरस्कार बीकानेर की तिमाही पत्रिका राजस्थानी गंगा को, राजस्थानी महिला लेखन पुरस्कार जोधपुर की डॉ जेबा रशीद को ‘वाह रे मरद री जात’ के लिए, प्रेम जी प्रेम राजस्थानी युवा लेखन पुरस्कार महाजन के डॉ मदन गोपाल लढा को ‘म्हारै पांती री चिंतावा’ के लिए प्रदान दिया गया। इसी प्रकार भतमाल जोशी महाविद्यालय पुरस्कार (प्रथम) विकास कंवर को तथा (दूसरा) पुरस्कार रमेशचंद गरासिया को एवं मनुज देपावत विद्यालय पुरस्कार (प्रथम) सम्पत सिंह राजपूत को तथा (दूसरा) विपिन शर्मा को दिया गया।
राजस्थानी भाषा सम्मान वर्ष 2011-12 के लिए जयपुर के लिए वेद व्यास को तथा 2012-13 के लिए जोधपुर के जुगल परिहार को दिया गया। राजस्थानी साहित्य सम्मान वर्ष 2011-12 के लिए सीकर के डॉ गोरधन सिंह शेखावत को तथा 2012-13 के लिए कोटा के दुर्गादान सिंह गौड़ को एवं राजस्थानी संस्कृति सम्मान वर्ष 2011-12 के लिए जोधपुर के डॉ रामप्रसाद दाधीच तथा 2012-13 के लिए चूरू के डॉ भंवर सिंह सामेर को प्रदान किया गया। वहीं प्रवासी राजस्थानी साहित्यकार सम्मान से राजकोट के डॉ अम्बादान रोहड़िया को सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान अकादमी द्वारा 11 वरिष्ठ साहित्यकारों को ‘आगीवाण’ सम्मान से भी नवाजा गया। इनमें बीकानेर के डॉ मदन केवलिया, रावतसर के मुखराम माकड़, बाड़मेर के जेठमल पुरोहित, बारां के चंद मोहन व्यास, उदयपुर के देवकरण सिंह राठौड़, भीलवाड़ा के शिवदान ंिसह कारोही, जयपुर की सावित्राी चौधरी, जोधपुर की डॉ सावित्राी डागा, जालौर के लालदास राकेश, भादरेस के महादान सिंह तथा मेड़ता सिटी के सांवतराम कासनिया को आगीवाण सम्मान प्रदान किया गया।
अगले वर्ष एक लाख का पुरस्कार
इस अवसर पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि आगामी वर्ष से अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष पूनम चंद बिश्नोई की स्मृति में राजस्थानी भाषा का समग्र पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार की राशि एक लाख रूपये होगी। कार्यक्रम का संचालन अकादमी सचिव पृथ्वी राज रतनू, रवि पुरोहित और संजय पुरोहित ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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