नई दिल्ली । उन्नीस सौ
चौरासी में दिल्ली कैंट में हुए सिख दंगे के दौरान पांच लोगों की हत्या मामले में
कड़कड़ड़ूमा अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार को बड़ी राहत प्रदान की है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेआर आर्यन ने पूर्व सांसद को बरी करते हुए पांच अन्य
आरोपियों को दोषी करार दिया। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि सीबीआइ जांच में कोई
ऐसा ठोस सुबूत नहीं पेश कर सकी, जिससे सज्जन कुमार को दोषी ठहराया जा सके। दोषी
करार दिए गए अभियुक्तों को छह मई को सजा सुनाई जाएगी। हालांकि सुलतानपुरी क्षेत्र
में हुए सिख दंगा मामले में अभी दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आना बाकी है।
अदालत ने कहा कि सज्जन
कुमार के खिलाफ गवाहों द्वारा दिए गए बयानों में भी विरोधाभास है, जिससे उन पर आरोप
पूरी तरह से साबित नहीं होते।
वहीं, दंगा फैलाने, तोड़फोड़ करने और हत्या के मामले
में आरोपी बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल को दोषी करार दिया गया। तीनों
को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया। इसके अतिरिक्त पूर्व
विधायक महेंद्र यादव और कृष्ण खोखर को दंगा फैलाने के आरोप में दोषी ठहराया गया।
अदालत ने इन्हें सोमवार को अदालत के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि 31 अक्टूबर,
1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनकी सुरक्षा में तैनात सिख
सुरक्षाकर्मियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके विरोध में देश भर में सिख
विरोधी दंगे हुए थे। इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में रहने वाली जगदीश
कौर के पति केहर सिंह, बेटे गुरुप्रीत सिंह, भाई रघुविंदर सिंह, नरेंद्रपाल सिंह
और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। मामले की जांच के लिये वर्ष 2000 में
नानावटी कमीशन गठित किया गया।
कमीशन की सिफारिश पर
सीबीआइ ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत पर दिल्ली कैंट मामले में वरिष्ठ कांग्रेस
नेता सज्जन कुमार समेत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मामले के विचाराधीन
रहने के दौरान दो आरोपियों संतोष रानी और महासिंह की बीमारी के कारण मौत हो गई थी।
वहीं, सुलतानपुरी में हुए सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार की संलिप्तता पर हाई
कोर्ट में सुनवाई जारी है।
जज पर फेंका जूता
29 साल के लंबे इंतजार के
बाद आए इस फैसले से नाराज आल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन के अध्यक्ष करनैल सिंह
पीर मोहम्मद ने अपना जूता उतार कर जज की ओर फेंक दिया, जिससे अदालत कक्ष में हड़कंप
मच गया। जज वहां से बिना कुछ कहे उठकर अपने चैंबर में चले गए, जबकि पुलिस ने जूता
फेंकने वाले शख्स को हिरासत में ले लिया। अदालत के बाहर मौजूद लोगों ने भी नारेबाजी
कर इस फैसले का विरोध जताया। उन्हें नियंत्रित करने के लिए भारी मात्रा में पुलिस
बल तैनात रहा।
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