बीकानेर । सुवर्ण-संस्कार के तत्वाधान में सुनारों की बडी गवाड में श्री ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के गणगौर पूजनोत्सव में स्वामी संवित सोमगिरिजी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि गणगौर के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि हम गणगौर का हर कन्या में दर्शन करें। हर नारी में पवित्र भाव से देवी को देख सकते है। नारी के प्रति अपनी दृष्टि में पवित्रता और सम्मान के भाव से हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते है। उन्होंने कहा कि बिना पत्नी के हम भवसागर पार नहीं कर सकते। पत्नी के अलावा अन्य नारी को माँ जगदम्बा के रूप में देखें। स्वामी जी ने कहा कि हम ईश्वर के प्रति समर्पण, आस्था से जीवन में प्रगति कर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।
स्वामी जी ने कहा की एक माँ, बहन, पत्नी, बेटी, भाभी आदि पवित्र सम्बन्धों से हमें नारी का महत्व समझना चाहिए। कार्यक्रम में सुवर्ण-संस्कार के निदेशक रामेश्वर बाड़मेरा ''साधक'' ने समाज के सामूहिक गणगौर पूजन के इतिहास पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में श्री ब्राह्मण स्वर्णकार समाज गणगौर समिति के अध्यक्ष बाबूलाल फलोदिया ने स्वामीजी को शॉल, श्रीफल, एवं राशि भेंटकर अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में डॉ. नन्दकिशोर बाडमेरा, श्रीगोपाल स्वर्णकार, मूलचंद, झंवरलाल सोनी ने स्वामी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। शिक्षाविद् कैलाश रतन सोनी ने स्वामीजी के आदर्शों के अनुरूप अपने आचरण को शुद्ध एवं निर्मल बनाने पर बल दिया। शीतलाष्टमी से चल रहे ब्राह्मण स्वर्णकार समाज की गणगौर पूजन के तहत रविवार को रम्मत चौक पट्टियों वाली गली में समाज की श्रीमती लक्ष्मीदेवी जसमतिया, राजकंवरी भजूड़, विजयलक्ष्मी बाड़मेरा, चन्द्रकला बाड़मेरा, भारती, माधुरी बाड़मेरा, अर्चना, पूजा, मनिषा, रामादेवी, उषादेवी आदि महिलाओं ने गणगौर के गीत गाए। कार्यक्रम में सुवर्ण-संस्कार के श्रीकान्त, रविकान्त बाड़मेरा, नवरतन, विशाल, वीरेन्द्र, महेन्द्र, लोकेश, रामदयाल, कुशचंद, मूलचन्द, पूर्वपार्षद राजेन्द्र सोनी, केसरी, उमेश, मंशाराम आदि ने प्रसाद वितरित किया। महाआरती के पश्चात् गणगौर की खोल भराई रस्म होने के बाद गणगौर को पानी पिलाने स्वर्णकार समाज के खरनाड़ा मैदान ले जाया गया। स्वर्णकार पंचायत भवन में गवरजा के आगे समाज की महिलाओं द्वारा धूमर नृत्य किया गया। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा अखण्ड सुहाग की कामना करते हुए घर घर मेंहदी बांटी गई। ब्रह्मपुरी चौक में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रीमाली समाज की महिलाओं ने धींगा गवर का पूजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया। सुशीला देवी श्रीमाली ने बताया कि धींगा गवर का पूजन बाली गवर की विदाई के पश्चात् चतुर्थी तिथि से शुरू होकर वैशाख कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि तक किया जाता है। इसमें श्रीकोलायत के तालाब की मिट्टी लाकर उससे शिव-पार्वती, गणेश, नन्दी, मालिन की मूर्तियां बनाकर उसमें प्राण-प्रतिष्ठाा करके तत्पश्चात् पूजन किया जाता है। धींगा गवर मां पार्वती का ही प्रतिरूप है। धींगा गवर का पूजन दोब, पुष्प गुलाल आदि से बड़ी श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ किया जाता है। तृतीया तिथि को महिलाओं द्वारा धींगा गवर माता के प्रसाद के साथ ही सुहाग छबड़ी चढाई और अपनी मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगा। दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व धींगा गवर माता का तालाब में विसर्जन घर की महिलाओं द्वारा किया जाता है। क्योंकि मान्यता है कि घर के पुरूष धींगा गवर माता के सम्मुख नहीं आते है। इस अवसर पर इन्द्र श्रीमाली, प्रमिला, ज्योति, ललिता, सुनीता, रेणु, मधु,वीनू, चित्रा, दिव्या, मिनाक्षी, गौरी, मोनिका सोनी, सूरज देवी सुथार आदि महिलाएं उपस्थित थी।
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