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Wednesday, April 17, 2013

31 लाख 20 हजार रुपए की सहायता राशि स्वीकृत


बीकानेर, 17 अप्रेल।  अनुसूचित जाति, जन जाति के व्यक्ति (अत्याचारण निवारण) अधिनियम 1989 एवं नियम 1995 के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2012-13 में 118 प्रकरणों में 31 लाख 20 हजार रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की गई।
            अतिरिक्त जिला कलक्टर हजारी लाल ने अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति (अत्याचारण निवारण) अधिनियम 1989 एवं नियम 1995 की समीक्षा के दौरान बताई। उन्होंने बताया कि सहायता प्राप्त करने वालों में 118 प्रकरणों में सहायता प्राप्त करने वाले 113 व्यक्तियों में 72 पुरुष 41 महिलाएं शामिल है। समीक्षा के दौरान अनुसूचित जाति, जन जाति अत्याचारण निवारण समिति के सदस्य चन्द्र शेखर चांवरिया लालचंद भादू आदि ने रचनात्मक सुझाव दिए।           
            बैठक में अतिरिक्त कलक्टर (नगर) ने बताया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण) नियम 1995 के नियम 11 के तहत अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति उसके आश्रित तथा साक्षियों को यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता, भरण पोषण व्यय और परिवहन सुविधाएं सुलभ करवाने का प्रावधान है।
अत्याचार से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति उसके आश्रित साक्षियों को उसके आवास अथवा ठहरने के स्थान से अधिनियम के अधीन अपराध के अन्वेषण या सुनवाई या विचारण के स्थान तक एक्सप्रेस, मेल या यात्राी ट्रेन में द्वितीय श्रेणी का आने-जाने का रेलभाड़ा अथवा वास्तविक बस टैक्सी भांडे का संदाय किया जाएगा।
            जिला मजिस्टेª या उप खंड मजिस्टेª अथवा कोई अन्य कार्यपालक मजिस्टेª, अत्याचार से पीडित व्यक्तियों और साक्षियों को, अन्वेषण अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक, जिला मजिस्टेª या किसी अन्य कार्यपालक मजिस्टेª के पास जाने के लिए परिवहन सुविधाएं देने अथवा उसके पूरे संदाय की प्रतिपूर्ति की आवश्यक व्यवस्था करने का प्रावधान है।
            प्रत्येक महिला साक्षी, अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति या उसकी आश्रित महिला या अव्यस्क व्यक्ति 60 वर्ष की आयु से अधिक का व्यक्ति और 40 प्रतिशत या उससे अधिक का विशेष योग्यजन अपनी पसंद का परिचर अपने साथ लाने का हकदार होगा। परिचर को भी इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध की सुनवाई, अन्वेषण और विचारण के दौरान बुलाये जाने पर साक्षी अथवा अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को देय यात्रा और भरण पोषण व्यय का संदाय करने का    प्रावधान है।
            साक्षी, अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति या उसका साथी, उसकी आश्रित तथा परिचर को अपराध के अन्वेषण, सुनवाई औरविचारण के दौरान उसके आवास अथवा ठहरने के स्थान से दूर रहने के दिनों के लिए ऐसी दरों पर दैनिक  भरण पोषण व्यय का संदाय करने का प्रावधान है जो उस न्यूनतम मजदूरी से  कम नहीं होगा। साक्षी, अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति (अथवा उसकीऔर आश्रित) और परिचर को दैनिक भरण पोषण व्यय के अतिरिक्त आहार व्यय का भी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार संदाय करने की व्यवस्था है।
            पीड़ित व्यक्तियों, उनके आश्रितों, परिचय तथा साक्षियों को अन्वेषण अधिकारी या पुलिस थाना के भार साधक अथवा अस्पताल प्राधिकारियेां या पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक अथवा जिला मजिस्टेª या किसी अन्य सम्बंधित अधिकारी के पास अथवा विशेष न्यायालय जाने के दिनों के लिए यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता, भरण पोषण व्यय तथा परिवहन सुविधाओं की प्रतिर्पूिर्त जिला मजिस्टेª अथवा उप खंड मजिस्टेª अथवा किसी अन्य कार्यपालक मजिस्टेª द्वारा तुरन्त अथवा अधिक से अधिक तीनों में किया जाएगा।
            जब अधिनियम की धारा 3 के अधीन कोई अपराध किया गया है तो जिला मजिस्टेª या उप खंड मजिस्टेª अथवा कोई अन्य कार्य पालक मजिस्टेª, अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए औषधियों, विशेष परामर्श रक्ताधान बदलने के लिए आवश्यक वस्त्रा, भोजन और फला ें के संदाय की प्रतिपूर्ति करते है।
            अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति पर उत्पीड़न, अत्याचार करने पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1889 एवं नियम 1995 के नियम 12 (4) के तहत लाभ देय है।
            नागरिक अधिकार एवं सुरक्षा अधिनियम, 1955 का क्रियान्वयनः- संविधान के अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को निषिद्ध आचरण घोषित कर दिया है और नागरिक अधिकार सुरक्षा अधिनियम 1955 के तहत इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अधिनियम को सख्ती से लागू करने के लिए पुलिस विभाग द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जाती है। सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा करने संबंधी इस अधिनियम की क्रियान्विति की समय-समय पर समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
            अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के व्यक्तियों से छुआछुत करने,बेगार लेने, अपमान करने, शील भंग करने, शारीरिक क्षति पहुंचाने, उनको कृषि भूमिसे बेदखल करने आदि अपराधों के दोषी पाए जाने वाले सवर्ण जाति के व्यक्तियों को न्यूनतम 6 माह से उम्र कैद तक के कारावास का प्रावधान है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति के सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्वास के लिएसहायत प्रदान करने का प्रावधान है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति के मामलों के तत्वरित निस्तारण के लिए 17 विशेष न्यायालय गठित है तथा शेष जिलों के सेशन न्यायालय को ही विशेष न्यायालय गठित है तथा शेष जिलों के सेशन न्यायालय को ही विशेष न्यायालय घोषित किया गया है।  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्याचारण निवारण अधिनियम, 1989 एवं नियम 1995 के उप नियम 12 (4) के तहत पीड़ित व्यक्तियों को विभिन्न अपराधों पर सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।                              
                                                                                                                         
           

           

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