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Tuesday, April 30, 2013

हमलावर लश्कर के, एएसपी-जेल वार्डन और पुलिसकर्मी निलंबित


सरबजीत की मौत!
जैसे पाकिस्तान छिपा रहा है

लाहौर, 30 अप्रेल।
क्या कोटलखपत जेल में सुनियोजित हमले का शिकार हुए भारतीय कैदी सरबजीत की मौत हो चुकी है? हालांकि पाकिस्तान सरकार और जिन्ना अस्पताल प्रशासन ने इस संबंध में चुप्पी साध रखी है लेकिन अस्पताल सूत्रों के अनुसार साथी कैदियों की बुरी तरह मारपीट से घायल सरबजीत के मस्तिष्क ने काम करना बिलकुल बंद कर दिया है। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। अस्पताल को अद्र्धसैनिक बलों ने अपने घेरे में ले रखा है। किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। सरबजीत को हालत बिगडऩे के बावजूद इलाज के लिए विदेश नहीं भेजे जाने के पाकिस्तान सरकार के फैसले ने भी इस चर्चा को गर्म किया है कि सरबजीत अब जीवित नहीं है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि अस्पताल लाए जाने के समय से ही सरबजीत बेहोश है और उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
उसके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया है, हालांकि शरीर के दूसरे अंग अभी काम कर रहे हैं, लेकिन वेंटीलेटर से हटाने पर उनके भी काम करना बंद करने की संभावना है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि उसके सिर पर ईंट और छड़ से कई बार वार किए गए जिनसे उसके मस्तिष्क को काफी नुकसान पहुंचा है।
दरअसल, कोटलखपत जेल में सरबजीत पर दो कैदियों आमिर तनबा और मुदसिर ने उस समय किया जबकि वह अन्य कैदियों के साथ दोपहर में अपने सेल से बाहर घूम रहा था। इस दौरान वहां अदनान और सफदर नामक दो हथियारबंद जेल वार्डन भी मौजूद थे और उन्होंने हमलावरों को रोकने का प्रयास भी किया बताया लेकिन वे हमलावरों को रोक नहीं पाए और खुद भी घायल हो गए। सरबजीत को ईंट और लोहे की छड़ों से बुरी तरह मारा-पीटा गया। हमलावर ये सारा सामान वहां निर्माणाधीन सीवर लाइन से लाए थे। घटना की सूचना मिलने पर जेल अधिकारियों ने कुछ सुरक्षाकर्मियों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा। जिन्होंने हमलावरों को नियंत्रित किया और बेहोश हो चुके सरबजीत को जेल परिसर में स्थित अस्पताल में ले गए। स्थिति बिगडऩे पर सरबजीत को जिन्ना अस्पताल में रैफर कर दिया गया। इस दौरान करीब एक घंटे का समय निकल गया और उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई।
सरबजीत के वकील ओवैस शेेख का कहना है कि मामला इतना साफ नहीं है जितना बताया जा रहा है। उसने जेल अधिकारियों को कई पत्र लिखे थे। इसके साथ ही सरकार के भी उच्चाधिकारियों को भी उसने कई बार सूचित किया था कि उसके साथी कैदी उसे धमका रहे हैं। उसकी जिंदगी खतरे में है। शेख का कहना है कि सरबजीत के इन पत्रों को अनदेखा कर दिया गया। अब जो घटना हुई है उससे यह साबित होता है कि जेल अधिकारी भी इस क्रूरता में शामिल थे।
एएसपी-वार्डन निलंबित: सरबजीत पर हमले के मामले में पंजाब के गृह विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और जेल वार्डन को निलंबित कर दिया गया है। पंजाब आईजी के अनुसार इस प्रकरण में कुछ और पुलिसकर्मियों को भी काम में लापरवाही बरतने के चलते निलंबित किया गया है।
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लश्कर ने करवाया हमला
सरबजीत सिंह पर जानलेवा हमला अचानक कैदियों के भड़कने नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे लश्कर--तैयबा की विस्तृत योजना थी। भारतीय खुफिया एजेंसियों की गोपनीय रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। जांच में यह साफ पता चला है कि मुंबई हमले के दोषी कसाब की फांसी के बाद से ही सरबजीत को जान से मारने की रणनीति बनाई जा रही थी। सरबजीत पर हमला करने वाले मुदसिर और आमिर तालिबान से जुड़े हैं और लश्कर के लिए काम करते हैं। दोनों 2005 और 2009 से संगीन मामलों में इसी जेल में बद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफजल की फांसी के बाद तालिबान ने लश्कर पर दबाव बढ़ा दिया कि सरबजीत पर हमला कराया जाए।

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