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Wednesday, April 17, 2013

हर ओर जनता दुखी : राजे



जयपुर/उदयपुर,
मेवाड़ के प्रसिद्ध धाम चारभुजा जी से सुराज संकल्प यात्रा लेकर निकलीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने अपनी यात्रा के पहले चरण में 13 दिन तक मतदाताओं की नब्ज टटोलने के बाद उदयपुर संभाग में यात्रा के आखिरी दिन आमसभा में भाजपा शासित राज्यों के विकास मॉडल की तारीफों के पुल बांधे तो राज्य सरकार की नीतियों को जमकर कोसा। पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मौजूदगी में राजे ने हर मामले में गहलोत सरकार पर जमकर हल्ला बोला। उदयपुर और वागड़ के बाद यात्रा का दूसरा चरण हाड़ौती में होगा।
राजे ने कहा कि सत्ता के लिए कांग्रेस लोगों को आपस में लड़ाती है। कांग्रेस ने 65 साल तक ऐसे ही राज किया। विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस चाहती है कि जनता दुखी समस्याओं से घिरी रहे ताकि वह कुछ और नहीं सोच सके।
उन्होंने कहा कि हमने सत्ता में आकर राजस्थान को गड्ढे से बाहर निकाला।
लेकिन कांग्रेस का राज आते ही विकास कार्य ठप हो गए। यात्रा के पहले चरण के अनुभव पर उन्होंने कहा कि मैंने 13 दिन की यात्रा में यह देखा कि युवाओं में दर्द है, उनके लिए रोजगार नहीं है। सरकार ने जो घोषणाएं की वो जमीन पर नहीं उतरीं। जनता दुखी मायूस है। बिजली, पानी, खाद कुछ नहीं मिल रहा है। पहली बार राजस्थान में किसान आत्महत्या के लिए विवश हो रहा है। हमें पांच साल और मिल जाते तो राजस्थान भी अग्रणी प्रदेशों की श्रेणी में जाता। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, रमनसिंह शिवराजसिंह अपने प्रदेशों को कितना आगे तक ले गए, दूसरी तरफ हमारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ नहीं कर पाए।Ó
इन मुद्दों पर बोलीं वसुंधरा
बिजली
सरकार ने बिजली के चार बार दाम तो बढ़ा दिए, मगर लोगों को बिजली नहीं मिल रही है। किसान परेशान हैं।
मानव संसाधन/बेरोजगारी
राजस्थान में 60 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इस कारण लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। भर्ती नहीं होने से योग्य युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है।
कृषि
किसानों को खाद-बीज नहीं मिल रहे हैं। इसका असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। विदर्भ की तरह राजस्थान में भी अब किसान आत्महत्या करने को विवश होने लगा है।
चिकित्सा एवं शिक्षा
सरकार नि:शुल्क जांच और नि:शुल्क दवा तो दे रही है, लेकिन अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं हैं। इसलिए लोगों को इलाज के लिए नीम हकीमों के पास जाना पड़ रहा है। ऐसे ही हालात स्कूलों के हैं, जहां शिक्षक नहीं हैं।


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