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Friday, April 12, 2013

गणगौरी तीज पर बीकानेर में उत्सव व अनेक स्थानों पर मेले



]गणगौरी तीज चतुर्थी 13 14 अप्रेल को बीकानेर का माहौल गणगौरमय रहेगा। अनेक स्थानों पर मेले भरेंगे, सामूहिक गीतों, नृत्यों, तथा उत्सवों के आयोजन होंगे। जूनागढ़ से शाम को दोनों दिन शाही लवाजमे के साथ सवारी निकलेगी।  धूलंड़ी (होलिका दहन के दूसरे दिन) से गणगौर पूजन में उपयोग ली जा रही सामग्री यथा पिण्डोलियों के पालसिए, घूड़ले आदि का विसर्जन गीतों के साथ प्राचीन कुआं स्थलों पर करेंगी। रविवार को चौतीना कुआं से कोटगेट के प्रतीकात्मक रूप से गणगौर दौड़ का आयोजन होगा।
गणगौरी तीज पर अनेक महिलाएं गणगौर का उद्यापन करेंगी तथा 16 महिलाओं को भोजन करवाकर उन्हें उपहार अंग वस्त्रा भेंट करेंगी। बारह माह गणगौर पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने वाली महिलाएं अपनी मनोकामना पूर्ति पर गणगौर ईसर तथा भाइए की प्रतिमाओं को आभूषणों वस्त्रों से श्रृंगारित कर बाई-बेटी सुहासिनों तथा ब्राह्मणी को दान करेंगी।

गणगौरी तीज चौथ पर जस्सूसर गेट के अंदर मोहता कुआं के पास, सिटी कोतवाली के सामने नया कुआं, सार्दुल कॉलोनी के अमरसर कुआं, चौतीना कुआं, गंगाशहर- भीनासर के प्राचीन कुआं के पास गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन करेंगी। इन स्थानों के साथ नत्थूसर बास, भीनासर के मुरली मनोहर मैदान तथा ढ़ढ्ढों के चौक में गणगौर उत्सव पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम मेले का आयोजन होगा। जस्सूसर गेट के बाहर मेले से एक दिन पूर्व ही बच्चों के झूले, खान पान की वस्तुओं की दुकानें लग गई है। बच्चों बड़ों के झूले में मेले से एक दिन पूर्व ही बालिकाएं बच्चे झूलने पहुंचने लग गए
जूनागढ़ से शाही लवाजमे के साथ गणगौर की सवारी 13 14 अप्रेल को   निकलेगी। सवारी में पुलिस महाराजा राय सिंह ट्रस्ट का बैंड लोकगीतों की धुनों की स्वर लहरियां बिखेरेगा वहीं गणगौर को जूनागढ़ की जनानी ड्योढ़ी पर रॉयली सैल्यूट करेगा। शाही गणगौर की सवारी में रियासतकालीन परम्परानुसार किरणिया, पंखा, लिए हुए दरबारी, ऊंट पर बीकानेर  रियासत के चिन्ह, नगाड़ा लिए ऊंट सवार शामिल होंगे। बेसकीमती आभूषणों का श्रृंगार किए हुए गणगौर के आगे नंगी तलवार लिए हुए दरबारी पीछे सशस्त्रा पुलिस बल चलेगा। गणगौर की प्रतिमा को एक महिला सिर पर उठाए हुए चलेंगी उसके पीछे महिलाओं का समूह पारम्परिक गीत गाते हुए चौतीना तक पहुंचेगा। चौतीना कुआं पर 14 अप्रेल को मुख्य मेला भरा जाएगा। शाही गणगौर की सलामी के लिए शहर के विभिन्न मोहल्लों, पंचायतों व्यक्तिगत स्तर पर लोग गणगौर, ईसर की प्रतिमाएं लेकर शाही गणगौर की अगवानी के लिए चौतीना पहुंचेगी। राज परिवार की ओर से चौतीना कुआं पहुंचने वाली गणगौरों के खोळ भरने की रस्म अदायगी  की जाएगी। खोळ भरने के तुरंत बाद गणगौर की दौड़ होगी। स्वर्गीय कर्मचंद बच्छावत द्वारा प्रदत भादाणियों की गणगौर सहित अनेक गणगौरे-ईसर की प्रतिमाओं को महिलाओं के साथ पुरुष भी सर पर लेकर दौड़ेंगे। जूनागढ़ की जनानी ड्योढ़ी में गणगौर का विशेष पूजन कर भोग लगाया जाएगा। चौतीना कुआं पर शाही गणगौर को पानी पिलाने की परम्परा का निर्वहन किया जाएगा।
                                    ढ्ढ्ढों के चौक में चांद मल ढ्ढ्ढा की बेशकीमती आभूषणों का श्रृंगार किए 13 14 अप्रेल को गणगौर निकलेगी। दोनों दिन मेला भरेगा। गणगौर के आगे अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए बालिकाएं महिलाएं नृत्य पूजा करेगी। नत्थूसर बास के मालियों के मोहल्ले में शहर के विभिन्न मोहल्लों से गणगौर, ईसर की प्रतिमाएं लेकर लोग पहुंचेंगे। गणगौरों का नारियल, नकदी वस्त्रा से खोल भरा जाएगा।
                                    बीकानेर शहर में शुक्रवार को ही महिलाएं बालिकाएं हाथ में मिट्टी की गणगौरें लिए हुए घूम-घूमकर गणगौर की प्रतिमाओं को खोल भरवा रहीं थी। वहीं कई परिवारों की महिलाएं अपने सगे संबंधी रिश्तेदारों के घर खोळ भरवाने की रस्म को निभाने में व्यस्त रही। गणगौरी तीज पर घरों में बाजरी, गेहूं बेशन आदि के ढोकले, फोगले का रायता बनाया जाएगा तथा गणगौर के भोग लगाकर उसका उपयोग किया जाएगा। शुक्रवार को भी अनेक महिलाओं ने घर के आगे, विश्वकर्मा गेट के बाहर राम मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में गणगौर के गीत गाए। शनिवार रविवार को गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन कई बालिकाएं बैंड डीजे के साथ करेंगी। जेल रोड़ से राधा जोगिन की प्राचीन पैरों वाली गणगौर की सवारी गाजे बाजे से निकलकर गोस्वामी चौक तक जाएगी। गणगौर के आगे इन दिनों गीतों का आयोजन नियमित चल रहा है।

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