जयपुर, 16 अप्रेल।
अगर आप अपने नजदीकी किराने या राशन की दुकान से देशी घी खरीद कर सेहत और स्वाद तलाश रहे हंै तो शायद यह सबसे बड़ी गलतफहमी साबित हो सकती है। जयपुर में इन दिनों ढेरों ब्रांड ऐसे हंै जो रोजाना हजारों टन नकली घी बाजार में पहुंचा रहे हैं। माइल्ड फैट और सॉफ्ट फैट के नाम से बिक रहा यह घी नहीं बल्कि विभिन्न तेलों और रसायनों का मिश्रण है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देशी घी के नाम पर यह गोरखधंधा खुले आम चल रहा है और लाख कोशिशों के बाद भी प्रशासन इस पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। धीमा जहर देकर जयपुरवासियों को गंभीर रोगों का शिकार बना रहे इन मौत के सौदागरों के साथ स्थानीय थाना पुलिस की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। बाजार में खुलेआम बिकने वाले इस घी पर ‘प्रोपराइटरी फूडÓ, ‘माइल्ड फैटÓ, ‘सॉफ्ट फैटÓ लिखा होता है।
इसी तरह बाजार में बिक रहे एक उत्पाद पर लिखा है कि ‘घी के बाद सबसे बेहतरÓ लेकिन यह है क्या? ऐसी कोई जानकारी कहीं अंकित नहीं की गई है। इन घी के डिब्बों पर बकायदा देशी घी की तस्वीरें बनी होती हंै लेकिन इनमें किसी पर भी कंपनी का नाम और पता नहीं लिखा होता है। कारोबार से जुड़े जानकारों के अनुसार माईल्ड फैट को किसी भी रूप में बाजार में नहीं बेचा जा सकता है और राजस्थान में बीकानेर सहित कई इलाकों में तो इस पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। जानकारों के अनुसार प्रदेश में कुल 6 बड़े व्यापारी ऐसे हैं जिनके हाथों में इस गोरखध्ंाधें की लगाम है। इन सभी पर कई बार कार्रवाई भी की गई और इनके सैम्पल परीक्षण में फेल भी हुए लेकिन हर बार नए नाम के साथ उनका नकली घी फिर बाजार में आ जाता है। ऐसे ही एक कारोबारी के घी के सैंपल नागौर, उदयपुर, नाथद्वारा और जयपुर से उठाए गए और हर बार यह सैंपल परीक्षण में फेल हुए। जानकारी के अनुसार परीक्षण में किसी सैंपल में कम से कम 26 आरएम होना जरूरी है और इससे कम को घी नहीं माना जा सकता। लेकिन, इसके बावजूद बाजार में माईल्ड फैट और ऐसे ही नामों से कई उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनमें आरएम का स्तर इससे काफी कम है।
ह्दयाघात का खतरा सबसे अधिक
नकली घी और माइल्ड फैट में बैड कॉलेस्टर बहुत अधिक होता है। बदलती दिनचर्या में यदि ऐसे घी या फैट का इस्तेमाल किया जाता है तो इसके नसों में जमने का खतरा बढ़ जाता है। इसके सेवन से खून का थक्का जम जाने, नसों के बंद होने और हृदयाघात सहित कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
डॉ. श्याम मित्तल,
फिजिशियन
अगर आप अपने नजदीकी किराने या राशन की दुकान से देशी घी खरीद कर सेहत और स्वाद तलाश रहे हंै तो शायद यह सबसे बड़ी गलतफहमी साबित हो सकती है। जयपुर में इन दिनों ढेरों ब्रांड ऐसे हंै जो रोजाना हजारों टन नकली घी बाजार में पहुंचा रहे हैं। माइल्ड फैट और सॉफ्ट फैट के नाम से बिक रहा यह घी नहीं बल्कि विभिन्न तेलों और रसायनों का मिश्रण है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देशी घी के नाम पर यह गोरखधंधा खुले आम चल रहा है और लाख कोशिशों के बाद भी प्रशासन इस पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। धीमा जहर देकर जयपुरवासियों को गंभीर रोगों का शिकार बना रहे इन मौत के सौदागरों के साथ स्थानीय थाना पुलिस की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। बाजार में खुलेआम बिकने वाले इस घी पर ‘प्रोपराइटरी फूडÓ, ‘माइल्ड फैटÓ, ‘सॉफ्ट फैटÓ लिखा होता है।
इसी तरह बाजार में बिक रहे एक उत्पाद पर लिखा है कि ‘घी के बाद सबसे बेहतरÓ लेकिन यह है क्या? ऐसी कोई जानकारी कहीं अंकित नहीं की गई है। इन घी के डिब्बों पर बकायदा देशी घी की तस्वीरें बनी होती हंै लेकिन इनमें किसी पर भी कंपनी का नाम और पता नहीं लिखा होता है। कारोबार से जुड़े जानकारों के अनुसार माईल्ड फैट को किसी भी रूप में बाजार में नहीं बेचा जा सकता है और राजस्थान में बीकानेर सहित कई इलाकों में तो इस पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। जानकारों के अनुसार प्रदेश में कुल 6 बड़े व्यापारी ऐसे हैं जिनके हाथों में इस गोरखध्ंाधें की लगाम है। इन सभी पर कई बार कार्रवाई भी की गई और इनके सैम्पल परीक्षण में फेल भी हुए लेकिन हर बार नए नाम के साथ उनका नकली घी फिर बाजार में आ जाता है। ऐसे ही एक कारोबारी के घी के सैंपल नागौर, उदयपुर, नाथद्वारा और जयपुर से उठाए गए और हर बार यह सैंपल परीक्षण में फेल हुए। जानकारी के अनुसार परीक्षण में किसी सैंपल में कम से कम 26 आरएम होना जरूरी है और इससे कम को घी नहीं माना जा सकता। लेकिन, इसके बावजूद बाजार में माईल्ड फैट और ऐसे ही नामों से कई उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनमें आरएम का स्तर इससे काफी कम है।
ह्दयाघात का खतरा सबसे अधिक
नकली घी और माइल्ड फैट में बैड कॉलेस्टर बहुत अधिक होता है। बदलती दिनचर्या में यदि ऐसे घी या फैट का इस्तेमाल किया जाता है तो इसके नसों में जमने का खतरा बढ़ जाता है। इसके सेवन से खून का थक्का जम जाने, नसों के बंद होने और हृदयाघात सहित कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
डॉ. श्याम मित्तल,
फिजिशियन
माईल्ड फैट विभिन्न प्रकार के तत्वों का मिश्रण् है और इसे घी नहीं माना जा सकता। बाजार में इस नाम से कोई उत्पाद नहीं बेचा जा सकता। ऐसे उत्पादों पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।
सीआईयू टीम की कार्रवाई भी दबाई
इस गोरखधंधे की जडं़े कितनी गहराई तक जमी हुई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज तीन दिन पहले हुई कमिश्नरेट की विशेष सीआईयू टीम की कार्रवाई को भी मिलीभगत से दबा दिया गया। सूत्रों के अनुसार बीते शनिवार को टीम ने कुछ संदिग्धों पर निगरानी के बाद ऐसे नकली घी बनाने वाले कारखाने और इनके ठिकाने का पता भी लगा लिया था लेकिन स्थानीय पुलिस के दखल के बाद पूरा मामला रफादफा कर दिया गया।
शाम ढलने के साथ ही वीकेआई में बिहारी-बंगाली मजदूरों को बुलाकर जयपुर का सबसे बड़ा नकली घी कारोबारी यह गोरखधंधा चला रहा है। पुलिस अधिकारियों और कुछ राजनीतिज्ञों से करीबी गांठकर यह शातिर बेखौफ होकर लोगों की जिंदगी से खेल रहा है।
सीआईयू टीम की कार्रवाई भी दबाई
इस गोरखधंधे की जडं़े कितनी गहराई तक जमी हुई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज तीन दिन पहले हुई कमिश्नरेट की विशेष सीआईयू टीम की कार्रवाई को भी मिलीभगत से दबा दिया गया। सूत्रों के अनुसार बीते शनिवार को टीम ने कुछ संदिग्धों पर निगरानी के बाद ऐसे नकली घी बनाने वाले कारखाने और इनके ठिकाने का पता भी लगा लिया था लेकिन स्थानीय पुलिस के दखल के बाद पूरा मामला रफादफा कर दिया गया।
शाम ढलने के साथ ही वीकेआई में बिहारी-बंगाली मजदूरों को बुलाकर जयपुर का सबसे बड़ा नकली घी कारोबारी यह गोरखधंधा चला रहा है। पुलिस अधिकारियों और कुछ राजनीतिज्ञों से करीबी गांठकर यह शातिर बेखौफ होकर लोगों की जिंदगी से खेल रहा है।
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