बीकानेर,
10 अप्रेल। जस्सूसर गेट के बाहर विमल सदन में बुधवार को गणगौर उत्सव पूजा, भोग, आरती तथा गणगौर के गीतों के साथ आयोजित किया गया। उत्सव में बड़ी संख्या में मोहल्ले की महिलाएं, युवतियां व बालिकाएं अपने श्रृंगारित ईसर, गणगौर तथा भाइये की प्रतिमाओं को लेकर पहुंची।
युवतियों ने सुयोग्यवर तथा विवाहिताओं ने अखंड सुहाग की कामना को लेकर गणगौर का श्रृंगार करने, भोग लगाने तथा अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पारम्परिक राजस्थानी लोकगीतों, विवाह गीतों और फिल्मी गीतों की तर्ज के गणगौर के गीत गाए । गीतों की स्वर लहरियों से वातावरण पूर्ण भक्ति व गणगौरमय बना था।
आयोजन से जुड़ी श्रीमती विमला
देवी व्यास, निर्मला लखोटिया, श्रीमती पूनम, श्रीमती संजू व्यास, डॉ.दीपा व्यास व अंजू पुरोहित ने आदि ने बताया कि गणगौर पूजन, भोग लगाने व गीत गाने का सिलसिला शीतलाष्टमी से शुरू किया गया जो गणगौरी तीज तक निर्बाद्ध रूप से चलेगा। गणगौर गीतों में ’’बासो तो बसिया ए रानी गवरजा ए बाई गवरजा, गवरजा की प्रतिमा का वर्णन करने वाला गीत ’’ गढो हे कोटां सूं है, गवरल उतरी’’, ’’ ईसरजी ढोला जयपुर जाइजो जी’, आवता तो लाइजो तारां री चूनड़ी,’’ ’’ईसरदासजी रा सुआ रे, नीचे उतरे तो लेलू गोद में ’’ ’’ म्हारी चन्द्र गवरजा सोने से कळशा दीखे दूर से, पातलिया ईसर गलियों में आवे गवरल घूमती’’, ’’चांदमल ढढ्ढे का लड़का रे सूरजमल पंछी का लड़का, अरे नई हवेली में पोढ़े गवरजा खस-खस का पंखा’’, ’’’आयो-आयो गवरल रो त्यौहार चाले सब पूजणने’’ सहित अनेक गीत गाए। करीब डेढ़ दर्जन गीतों की लड़ी का समापन ’’पाटो’गीत से किया गया।
श्रीमती विमला देवी ने बताया कि गणगौर के विभिन्न तरह की मिठाइयों, पकवानों, आदि का भोग लगाया गया। गणगौर के असली सोने चांदी के आभूषण व चिताकर्षक वस्त्रों से श्रृंगार किया गया।
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बीकानेर,
10 अप्रेल। श्रीजी उपासना संगम की ओर से नए संवत्सर पर गुरुवार को धरणीधर महादेव मंदिर में सुबह छह बजे से पूजन के आयोजन पंडित घनश्याम आचार्य के सान्निध्य में होगा। संस्था के अध्यक्ष प्रेम जैन ने बताया कि 21 ब्राह्मणों का सम्मान किया जाएगा तथा उन्हें नए पंचांग दिए जाएंगे।
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