॥शब्दों के जरिये वर्तमान हालात का जो जिक्र पुस्तक में किया है वह जीवन और इससे जूझती मानवता के दर्द को बयां करता है। रचनाएं जाहिर करती है कि आचार्य पूरी शिद्दत से अपने कृतित्व को अनेक रूपों में साकार करते हैं। इनमें रंगकर्म, कथाकार, शायर, गीतकार आदि रूप शामिल हैं।ञ्जञ्ज
रणवीरसिंह, अध्यक्ष इप्टा
॥अहसास किसी जुबान के मोहताज नहीं होते। वे अभिव्यक्त होकर लोगों के दिल को छू जाए तो रचना बन जाती है। आनंद आचार्य हिंदी में लिखते हैं या उर्दू में इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण यह है कि उनके रचनाएं लोगों के दिलों को छूती है।
|
इस दौर का हर हादसा अजीब है, गुजरात और गांधी भी कहां करीब है' या 'चेहरा हर दे रहा गवाही है, ये सदी भी कितना बौखलाई है' पंक्तियों से केवल देश के हालात का अनुमान लगाया जा सकता है। यही पंक्तियां जब शायर आनंद वि.आचार्य ने सधे सुर और खास अंदाज में पेश किया तो एक-एक शब्द चित्र बन उठा और काव्यांश पूरा होते ही मानो स्थितियां सजीव हो मंच पर आ गई। कभी तालियां गूंजी तो कभी वाहवाही। राजनीतिक व्यवस्था पर 'तब आये थे, अब आये हो, पांच बरस तरसाया साहिब..' जैसे तीर छोड़े वहीं 'एक फाइल से दबायी जा रही है जिंदगी..' के जरिये व्यवस्था पर प्रहार किया। इंसानियत का ग्राफ बताने वाली गजल 'घरों में आदमी नहीं होगा, अजायबघरों में दिखाए जाएंगे...' पर दाद बटोरने के साथ ही उन्होंने जीवन के लगभग हर पहलु को छुआ और शाम आनंदमयी हो गई।
मौका था आचार्य के गजल संग्रह 'दौर-ए-हालात' के लोकार्पण एवं 'आनंद के आयाम' समारोह का। टाउन हॉल में देर शाम तक चले आयोजन के अतिथि बने इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीरसिह, साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्याम महर्षि। आचार्य के काव्यकर्म को विधा के पैमाने पर परखने की चर्चा चली तो विजेंद्र शर्माने जहां दिलों को छूने वाली रचनाएं बताते हुए सराहा वहीं हिंदी और उर्दू शायरी, दुष्यंत, मीर, गालिब की परंपराओं आदि के बीच द्वंद्व का जिक्र भी किया। वत्सला पांडे ने भी समकालीन एवं पूर्ववर्ती शायरों-कवियों से तुलनात्मक विवेचन किया।
मुक्ति संस्था व प्रलेस की ओर से हुआ आयोजन कभी औपचारिक, कभी अनौपचारिक होता रहा और इस बीच डा.तनवीर मालावत, विद्यासागर आचार्य, विजयलक्ष्मी आचार्य आदि ने जहां शायर के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया वहीं कई संस्थाओं ने अभिनंदन भी किया। इनमें नवयुवक कला मंडल, नाल सरपंच श्रीराम रामावत, गोपीराम जोशी पाटा मंडल, मुक्ति के राजेन्द्र जोशी, हीरालाल हर्ष, प्रलेस के बुलाकी शर्मा आदि शामिल हैं। संजय आचार्य एवं रमेश भोजक ने आचार्य पर केन्द्रित फोल्डर भी जारी किया।
चाय की थड़ी पर काव्यकर्म की चर्चा
आयोजन की शुरुआत लघु नाटक से हुई जो चाय की थड़ी पर बैठे युवाओं की चर्चा पर केन्द्रित है। अशोक जोशी के निर्देशन में मंचित नाटक के जरिये आचार्य के व्यक्तित्व, कृतित्व के साथ ही लिखे हुए पर खुद का मूल्यांकन भी दर्शाया गया। नाटक में भुवनेश स्वामी, जय टाक, पंकज छींपा, जितेंद्र खत्री, नवनीत नारायण व्यास, सुमित व्यास, शावेज खान, शाहरुख खान, राहुल शर्मा आदि ने अभिनय किया।
|
No comments:
Post a Comment