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Sunday, April 21, 2013

स्कूल बिगाड़ रहे बच्चों की सेहत!



जयपुर। राजस्थान की राजधानी में क्वालिटी एजुकेशन का दावा करने वाले अघिकांश प्रतिष्ठित स्कूल बच्चों की सेहत के बिगाड़ रहे हैं। इन स्कूलों के बच्चों को जंक फूड की लत लगती जा रही है। हैल्दी फूड को लेकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन(सीबीएसई) की गाइडलाइन्स और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एफएसएसएआई) की सिफारिशें दरकिनार करते हुए यहां स्कूल परिसर में धड़ल्ले से जंक फूड बेचा और परोसा जा रहा है।

बता दें कि सीबीएसई की ओर से मई,2006 से लगातार सर्कुलर जारी कर स्कूलों को जंक फूड के लिए विशेष दिेशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन इन स्कूलों ने आज तक जंक फूड को गंभीरता से नहीं लिया है। स्कूल मैनेजमेंट आंखे मूंदे बैठा है और कैंटीनों में जंक फूड बेचा जा रहा है। इस बारे में खुद सीबीएसई चेयरमैन विनीत जोशी मानते हैं कि
सिर्फ सर्कुलर जारी करने से जंक फूड को लेकर हालात बदलने वाले नहीं हैं। इस दिशा में स्कूल के साथ पैरेंट्स का भी अवेयर होना जरूरी है।
एक दिन में 5000 बर्गर की बिक्री

जयपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के कैंटीन संचालक ने नाम का उल्लेख नहीं करने की शर्त पर बताया कि स्कूल में हर दिन लंच टाइम में करीब 45-50 बर्गर बिक जाते हैं। इस लिहाज से शहर के 50 प्रमुख स्कूलों में लंच टाइम तक करीब 5000 बर्गर बच्चों को बेचे जाते हैं। यही नहीं,फास्ट फूड की कैटेगरी में आने वाले समोसा-कचौरी और कोल्ड ड्रिंक आदि की खपत भी लगभग इसी तादाद में हो रही है। इन आंकड़ों पर नजर डाले तो बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक पैरेंट्स और संगठनों की चिंता बढ़ना स्वभाविक है।
लापरवाह सरकारें,
बेलगाम स्कूल 
स्कूलों में जंक फूड की बिक्री रोकने के प्रति केन्द्र और राज्य सरकारें गंभीर नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट केन्द सरकार से इस उदासीनता पर जवाब तलब भी कर चुकी है। इसी का फायदा स्कूल प्रबंधन उठा रहे हैं और हैल्दी फूड का पाठ पढ़ाने वाले स्कूलों में जंक फूड का कारोबार बढ़-चढ़ रहा है। हालांकि,भारत में स्कूलों की कैंटीनों में जंक फूड की बिक्री पर उठ रहे सवालों के बाद कई स्कूल संचालक जंक फूड बिक्री को प्रतिबंधित किए जाने संबंधी पहल के स्वागत को भी तैयार दिख रहे हैं।
22 जुलाई को 
मिल सकती है राहत

बच्चों की सेहत को नुकसान से बचाने के लिए गाइडलाइन्स के बाद भी शहर के अघिकांश स्कूलों के भीतर और परिसर के आसपास जंक फूड बेचा जा रहा है। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट भी केंद्र सरकार को विशेष दिशा-निर्देश जल्द तैयार करने को कह चुका है। सरकार की ओर से इस दिशा में स्कूलों और उनके आसपास 500 गज के दायरे में जंक फूड और कोल ड्रिक्स की बिक्री से जुड़े दिशा-निर्देश 21 जुलाई तक तैयार करने की बात कही गई है। कोर्ट में यह गाइडलाइन 22 जुलाई को पेश की जाएगी,जिसके आधार पर कोर्ट कोई बड़ी राहत दे सकता है।

विज्ञापन भी 
दे रहे बढ़ावा
 जयपुर के स्कूल स्टूडेंट्स पर जंक फूड को लेकर हुए एक सर्वे में विज्ञापनों की भूमिका को भी दोषी माना गया है। सेंटर फॉर कंज्यूमर एक्शन रिसर्च एंड टे्रनिंग (कट्स कार्ट) की ओर से स्कूली बच्चों पर किए गए इस सर्वे के में बताया गया है कि 85 फीसदी स्टूडेंट्स विज्ञापन से प्रभावित होकर ही जंक फूड खाते हैं। यह सर्वे मे राजधानी के 30 स्कूलों के स्टूडेंट्स को शामिल किया गया। 
क्या है जंक फूड
पोषक तत्वों की कमी की वजह से जंक फूड स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर नहीं माने जाते हैं। इनमें वसा,सोडियम और शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें कुछ मात्रा में विटामिन,खनिज तत्व और उच्च स्तर की कैलोरी पायी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंक फूड के इस्तेमाल से मोटापा,दांतों में कैविटी,टाइप 2 डायबिटीज और ह्वदय संबंधित बीमारिएं को बढ़ावा मिलता है। इसमें मौजूद सोडियम से ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। विशेषज्ञ जंक फूड में इस्तेमाल होने वाले "ट्रांस फैट" को सबसे खतरनाक मानते हैं,क्एंकि यह 'बैड कोलेस्ट्रॉल लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन' का स्तर बढ़ाता है,साथ ही साथ 'गुड कोलेस्ट्रॉल हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन' का स्तर घटाता है। 
लंदन में जंक फूड पर
 पाबंदी

विश्व के कुछ हिस्सों के स्कूलों में जंक फूड बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। वर्ष 2010 में लंदन हाईकोर्ट ने भी स्कूलों के आसपास जंक फूड की बिक्री को गैर-कानूनी गतिविधि करार दिया था। इसी तरह भारतीय स्कूलों में भी जंक फूड पर पाबंदी की मांग जोर पकड़ती जा रही है।

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