बीकानेर, 10 अप्रेल। स्टेट बनाम मोतीराम प्रकरण में पूर्व में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा जांच कर आयकर निरीक्षक मोतीराम के मामले में प्रकरण को झूठा मानते हुए अंतिम प्रतिवेदन पेश कर दिया गया था। जिसके विरूद्ध शिकायतकर्ता पारसमल विश्नोई के अधिवक्ता गोपाल लाल हर्ष व अधिवक्ता रूघाराम सहारण ने सत्रा न्यायधीश भ्रष्टाचार निवारण मामलात में नाराजगी याचिका (प्रोटेस्ट पीटीसन) प्रस्तुत किया था जिसमें आज दिनांक 10 अप्रेल बुधवार को माननीय न्यायाधीश नगेन्द्र पाल भण्डारी ने निर्णय दिया की प्रकरण की जांच पुलिस अधीक्षक से उससे उच्चतर अधिकारी से करवाई जावें।
अधिवक्ता हर्ष व सहारण ने बताया कि माननीय न्यायाधीश द्वारा मूल अंतिम प्रतिवेदन अतिरिक्त महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर को इस आदेश की प्रति के साथ रजिस्टर्ड डाक से भेजकर आदेश किया जाता है कि इस प्रकरण में पुनः जांच पुलिस अधीक्षक या उनके उच्च स्तर के अधिकारी से करवाकर अभी तक की गई तफ्तीश व अग्रिम तफ्तीश के मद्देनजर पुनः निष्कर्ष निकालकर नतीजा आदेश प्राप्त होने से एक माह में न्यायालय में प्रेषित किया जावे। इन्तजार नतीजा में पत्रावली दिनांक 10 मई 2013 को पेश करे।
हर्ष ने बताया कि परिवादी पारसमल बिश्नोई के पिता की एक फर्म खाजूवाला में स्थित हैं । जिसके विरूद्ध आयकर कार्यालय द्वारा चार लाख 62 हजार 360 रू की डिमांड निकाली थी। जिसे रफा-दफा करने के लिए निरीक्षक मोतीलाल वर्मा द्वारा 15 से 20 हजार रूपये की रिश्वत राशि की मांग की गई थी। जब उक्त राशि खटीको की मस्जिद के पास मोतीलाल वर्मा को परिवादी द्वारा दी गई तथा ट्रेप पार्टी द्वारा ट्रेप कार्य को अंजाम दे रही थी तो मोतीलाल वर्मा व उसके साथियो ने ट्रेप पार्टी के साथ मारपीट व धक्का मुक्की की गई थी। जिसका मुकदमा पृथक रूप से अधीनस्थ न्यायालय में विचाराधीन है।
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