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Friday, June 7, 2013

वोटों के लिए डेढ़ लाख ट्रांसफर

जयपुर, 7 जून। तबादला महाकुंभ शुरू होते ही सांसदों, विधायकों और कांग्रेस नेताओं की ओर से रेवडिय़ों की तरह बांटी जा रही डिजायर चुनावी तिकड़म बन गई है। चुनावी वर्ष में दरवाजों पर लम्बी कतारें लगी देख नेता वोट सुरक्षित करने के लिए उन कार्मिकों के भी तबादले की अनुशंषा कर काम होने की दिलासा दे रहे हैं

जिनका उनकी अनुशंषा पर तबादला भी हो गया तो चुनाव आयोग के निर्देश के चलते यह उनके लिए चार दिन की चांदनी से अधिक नहीं होगा।
चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार वे कार्मिक जिन पर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी है, उन्हें गृह जिले में पदस्थापन नहीं दिया जा सकता है। यदि वे गृह जिले में रहते हंै तो चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही चुनाव आयोग उन्हें जिले से बाहर भेज देगा। इस बारे में चुनाव आयोग मुख्य सचिव सी. के. मैथ्यू को पत्र लिखकर पहले ही निर्देश जारी कर चुका है।

दरअसल, इन निर्देशों में तहसीलदार, विकास अधिकारी, एसीएम, एसडीएम, एडीएम से लेकर अन्य कार्मिक शामिल हंै। पुलिस में तो सब इन्सपेक्टर से लेकर आईजी के पद पर लगे अधिकारी इसकी जद में रहे हैं लेकिन तबादलों पर से प्रतिबंध हटते ही अधिकांश कार्मिकों में गृह जिले में आने की होड़ मची है। इसके लिए वे अपने क्षेत्र के विधायकों के साथ अन्य सांसदों और विधायकों की भी डिजायर करवा रहे हैं। सांसदों और विधायकों ने तबादलों पर से प्रतिबंध हटते ही अपने कार्यालयों में स्टॉफ बढ़ा दिया है। जो उनके यहां आने वाले किसी भी कर्मचारी का आवेदन लेता है और उस पर सांसद, विधायक या अन्य नेता के हस्ताक्षर करवा कर उसे वापस दे रहा है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में हो रहे तबादलों पर चुनाव आयोग नजर रख रहा है। आचार संहिता लागू होने से पूर्व सरकार अपने प्रशासनिक मैनेजमेंट के तहत हो सकता है एक बार फिर तबादला सूचियां जारी करे। ऐसा नहीं होता है तो आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग कार्मिकों के पदस्थापन की समीक्षा करेगा और गृह जिले में लगे कार्मिकों का स्थानान्तरण किया जाएगा।
इस स्थिति में अभी सांसदों और विधायकों के आवासों पर धक्के खा कर तबादला करवाने वाले कार्मिकों को दो-तीन माह बाद ही दूसरी जगह जाना पड़ सकता है।
पल-पल अपडेट
तबादलों के चक्कर लगा रहे कर्मचारियों ने अपना काम करवाने के लिए पल-पल अपडेट होना शुरू कर दिया है। किस जगह सीट खाली है। किस कर्मचारी को लम्बे ठहराव के कारण हटाया जा सकता है। इस माह कितने कर्मचारी सेवानिवृत होकर जगह खाली कर रहे हैं। तबादला सूचियां किस अधिकारी के पास जा रही है। किस मामले में अपवाद कायम किया जा सकता है। विभाग के मंत्री अपने आवास पर हैं या कहीं बाहर गए हुए हैं। इस तरह की तमाम जानकारियां कर्मचारियों में आपस में एक-दूसरे तक जा रही है। ऑफिसों में अपने सूत्रों को कर्मचारी बार-बार टटोल रहे हैं। इसके चलते सभी विभागों में कर्मचारियों के रैले दिखाई दे रहे हैं।
आवेदन एक्सपर्ट
तबादला आवेदनों की बढ़ती संख्या को देख अब खुद को आवेदन राइटर एक्सपर्ट कहने वाले लोग सक्रिय हो गए हैं। जो एक खास फॉर्मेट में आवेदन लिख रहे हें। इसमें तबादला चाहने के कारणों से लेकर रिक्त पदों तक की सूचना दी जाती है। दूरदराज के जिलों से रहे कार्मिक इन लोंगो से अपने आवेदन तैयार करवाते हुए देखे जा सकते हैं।
कहां कितने तबादले
शिक्षा विभाग : पंचायतीराज और शिक्षा विभाग में से शिक्षकों के तबादले कौन करेगा की ऊहापोह के बीच इस बार करीब 30 हजार शिक्षकों के तबादला आवेदन चुके हैं और यह संख्या अभी और बढ़ेगी। माना जा रहा है कि 2008 और 2010 की तरह इस बार सभी वर्गों के करीब 50 हजार शिक्षकों के तबादले होंगे।
चिकित्सा विभाग : शिक्षा विभाग के बाद यदि तबादला आवेदनों में कोई विभाग आगे है तो वह चिकित्सा विभाग है। इसमें करीब 20 हजार कार्मिकों के तबादलों की संभावना जताई जा रही है। पंचायतीराज : पंचायतीराज विभाग में नए विभागों के कार्मिकों के तबादले का अधिकार आने से तबादला आवेदनों की संख्या बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इसमें करीब 15 से 20 हजार कार्मिकों को इधर से उधर किया जाएगा।
पीएचईडी : पेयजल संकट के हालात और आपात योजनाएं चलने से पीएचईडी में बड़े स्तर पर तो तबादले होने की संभावना नहीं जताई जा रही है लेकिन 10-15 हजार तबादले होने की तो पूरी तैयारी है।
कृषि : कृषि विभाग में इस बार बड़े फेरबदल की संभावना है। यहां इस बार गत वर्षों की तुलना में तबादला आवेदन भी अधिक आए हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण गत बार कम तबादले होने से वंचित रहे कर्मचारी अब कोई मौका नहीं चूकना चाहते हैं।
पीडब्ल्यूडी : मंत्री भरतसिंह के रुख को देखकर माना जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी में तबादलों की संख्या कम ही रहेगी। वैसे तो यहां भी आवेदन रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी में 4-5 हजार से अधिक तबादले नहीं होंगे।
महिला एवं बाल विकास : इसमें गत बार भी करीब 8 से 10 हजार कार्मिकों के तबादले हुए थे। इस बार यह संख्या बढ़कर 12 से 15 हजार तक पहुंचने की संभावना बताई जा रही है। इसके पीछे विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढऩा भी एक कारण माना जा रहा है।
सहकारिता : इसमें भी तबादलों की संख्या 7-8 हजार के बीच रहने की संभावना बताई जा रही है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता : इस विभाग में गत बार भी थोक के भाव तबादले हुए थे। इसके बाद कई तबादलों को निरस्त भी किया गया। माना जा रहा है कि इस बार यहां तबादलों की संख्या काफी रहेगी।


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