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Tuesday, June 4, 2013

21 आरोपी आरएएस अफसरों को संरक्षण

ऊंचे रसूखातों के कारण रुकवाई अभियोजन की प्रक्रिया
जयपुर, 4 जून। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रिश्वतखोर अफसरों पर कार्यवाही करता हैं लेकिन ऊंचे रसूखातों के कारण इन अफसरों के खिलाफ आगे की कार्यवाही मुल्तबी कर दी जाती है। ऐसा ही कुछ आरएएस अफसरों के खिलाफ कार्यवाही में हो रहा है। 

एसीबी ने उनके खिलाफ शुरुआती कार्यवाही तो कर दी लेकिन आगे की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। एसीबी के पास इस समय 21 आरएएस अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है जिनमें कई तो मलाईदार पोस्टों पर तैनात हैं। इन अफसरों में से कई पर संगीन मामले चल रहे हैं।
एसीबी जल्दी ही इनके खिलाफ आगे की कार्यवाही के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर अवगत करवाएगी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रिकार्ड के अनुसार आरएएस अफसरों के खिलाफ पद पर भ्रष्टाचार करना, अपनों को अनुचित फायदा पहुंचाना और रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। एसीबी के पास इस तरह की कोई शिकायत या परिवाद आने पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी जाती है। लेकिन इन रसूखदार अफसरों के खिलाफ आगे की कार्यवाही को लेकर सरकारी स्तर पर कोई निर्णय नहीं होने से मामला उलझ जाता है धीरे-धीरे पुराना हो जाता है। हालांकि एसीबी की टीम समय-समय पर इस बारे में संबंधित विभाग से जानकारी मांगती रहती है लेकिन जिस अफसर के खिलाफ शिकायत हुई है उसका विभाग उससे जुड़ी या केस से संबंधित जानकारी नहीं दे पाता। जिससे मामला आगे बढ़ नहीं पाता है। अभियोजन के लिए भी एसीबी को राज्य सरकार के आदेशों का इंतजार करना पड़ता है। पुराने अनुभवों को यदि देखें तो निश्चित समयावधि पूरी होने के बाद बड़ी मुश्किल से एसीबी के जाल में फंसे भ्रष्टाचारी अफसर सरकार की कथित नजर--इनायत के कारण साफ बच निकलते हैं। ताजा मामलों को यदि छोड़ दिया जाए तो विगत कई वर्षों से लगातार लम्बित चले रहे प्रकरण आज भी बंद पड़े बस्तों में धूल फांक रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकारी स्तर पर ऐसे मामलों में बरती जा रही ढिलाई से एसीबी की कार्य क्षमता भी प्रभावित होने के साथ ही भ्रष्ट आचरण करने वालों का दुस्साहस भी बढ़ता है। सरकारी तंत्र में गहराई तक अपनी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार से निपटने के लिए समय-समय पर एसीबी को और अधिक फ्रीहैंड किए जाने की वकालत कर रहे सूत्रों का कहना है कि अभियोजन की समयबद्ध संस्तुति करके ही इसे गति दी जा सकती है। उधर जानकारों का कहना है कि जिस तरह अजमेर एसपी प्रकरण में उच्च स्तर पर एक संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारी विशेष के काले कारनामों को नजरंदाज किया गया उससे भी एसीबी अधिकारियों का मनोबल कम हुआ है। भ्रष्टाचार के प्रकरणों में बरते जा रहे दोहरे मापदंडोंं को यदि सरकार के स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया गया तो ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों की कार्यक्षमता प्रभावित होने के साथ ही राज्य के हालात और भी खराब होने की स्थिति पैदा हो जाएगी। इन अफसरों की जांचपी आर पण्डत, पाल सिंह,रामजीलाल वर्मा,रतन विश्नोई, हिम्मतसिंह चाहर,गोपाराम,अरविन्द कुमार सेंगवा,विरेन्द्र वर्मा,अनुराग भार्गव, बीरबल राम चौधरी,डीएम डिडौरा, हषवर्धन सिंह, छगनलाल, हरिवन्दर कुमार शर्मा, भवानी सिंह, अशोक कुमार, हरफूल सिंह, राजनारायण, सोहनलाल, राजेन्द्र सिंह और रामचन्द्र शामिल हैं। गंभीर अनियमितताओं को अंजाम दिए जाने के बाद भी बेखटके अब भी महत्तवपूर्ण पदों पर काबिज इन अधिकारियों की कारगुजारियां बदस्तूर जारी है।


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