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Wednesday, June 5, 2013

21 व्यंजनों से अधिक न बनावें, न परोसें व न खायें : जैन महासभा

बीकानेर, 5 जून। जैन महासभा बीकानेर द्वारा एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया जायेगा। इस समारोह में 21 व्यंजन सीमा अभियान को अपनाने वाले व्यक्तियों का सम्मान किया जायेगा।

जैन महासभा के अध्यक्ष इंद्रमल सुराणा ने बताया कि संचालक मंडल की बैठक श्री जैन पब्लिक स्कूल में आयोजित हुई, जिसमें यह निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से जैन समाज को अल्पसंख्यक श्रेणी में शामिल करने हेतु मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के नाम का एक ज्ञापन 6 जून को जिला कलक्टर को सौंपे जाने संबंधी निर्णय लिया गया।

    पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर ने बताया कि जैन महासभा बीकानेर ने भगवान महावीर की 2600वीं जयंती पर यह निर्णय लिया कि सामाजिक समरूपता के लिए जन्म, विवाह, गृह प्रवेश आदि अवसरों पर आयोजित स्नेह भोज में 21 व्यंजनों से अधिक बनावें, परोसें खायें। 
   
महामंत्री जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि इस 21 व्यंजन सीमा अभियान आंदोलन की समाज में सर्वत्र प्रशंसा हुई एवं सैंकडों लोग संकल्पित हुए। समाज में आज भी ऐसे अनेक लोग हैं जो 21 व्यंजन से अधिक होने पर वहां पानी तक नहीं पीते। समाज के मध्यम वर्ग में इस आंदोलन की भरपूर सराहना हुई है और अनेक समाज के लोगों ने इसका अनुकरण भी किया है। उन्होंने कहा कि समाज के युवा एवं महिला वर्ग को आगे आकर इस आंदोलन को गति देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 25 अगस्त को ऐसे सभी समाज के हित चिंतकों का जिन्होंने प्रदर्शन आडम्बर को महत्व ना देते हुए सामाजिक समरूपता को महत्व दिया और अपने यहां हुए स्नेह भोज में 21 व्यंजन सीमा अभियान को पूर्णतया लागू किया। जैन महासभा 1 अगस्त 2012 से 31 जुलाई 2013 तक हुए जन्म, विवाह, गृह प्रवेश आदि अवसरों पर आयोजित स्नेह भोज में 21 व्यंजनों से अधिक बनायें हों, अपना नाम महासभा के पदाधिकारियों को दर्ज करावें। उन सभी का एक भव्य सम्मान समारोह में संपूर्ण जैन समाज की तरफ से सम्मान किया जायेगा। संचालक मंडल के सदस्य निर्मल दस्साणी, सुरेन्द्र भादाणी, एडवोकेट महेन्द्र जैन, मनोज सेठिया, तनसुखदास बांठिया, चंपालाल डागा, सूरजराज जैन इत्यादि ने इस सम्मान समारोह की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने उपभोग का संयम करने की बात कही थी तथा हर व्यक्ति को संयमित करते हुए आडम्बर एवं प्रदर्शन से हटकर समाज के सभी वर्ग के साथ मिलकर आयोजन करना चाहिए।

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