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Friday, June 21, 2013

तबाह हुआ केदारनाथ,कुत्ते-गिद्ध नोंच रहे लाशें

देहरादून/जयपुर। उत्तराखण्ड के केदारनाथ धाम में आया सैलाब सब कुछ अपने साथ बहा ले गया। केदारनाथ धाम की जो ताजा तस्वीरें सामने आई है वे रौंगटे खड़े करने वाली है। मंदिर के आस-पास सैंकड़ों लाशें पड़ी है। पांच दिन बीत जाने के बावजूद शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है।

इस कारण शव सड़ रहे हैं। कुत्ते शवों को नोच रहे हैं। यहां वहां बिखरे शवों के कारण बदबू फैली हुई है। महामारी का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। हेलीकॉप्टर से केदारनाथ धाम जाकर आए राज्य के कृषि मंत्री हरक सिंह रावत जब वहां के हालात बयां कर रहे थे तो वे फूट-फूट कर रोने लगे।
रावत ने बताया कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि यह वही केदारनाथ धाम है जहां कपाट खुलने वाले दिन मैं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ वहां पूजा अर्चना करने गया था। बकौल रावत यह सहस्त्राब्दी की सबसे बुरी त्रासदी है। केदारनाथ इलाके में जो बुनियादी ढांचा तबाह हुआ है उससे फिर से खड़ा करने में पांच साल लग जाएंगे। रावत केदारनाथ धाम में करीब पांच घंटे रूके थे। उन्होंने वहां का जो हाल देखा तो हैरान रह गए।
केदारनाथ में बाढ़ से तबाही के बाद अब लोग भूख से मरने लगे हैं। कई इलाके ऎसे हैं, जहां लोग फंसे हुए हैं लेकिन वहां तक सेना भी नहीं पहुंच सकी है। पीने को पानी है ही कुछ खाने को। पहाड़ी इलाका और चारों ओर पानी कई बच्चे-बुजुर्ग तो सर्दी के चलते बीमार हो रहे हैं। परिजनों से सम्पर्क के बाद वहां फंसे लोगों ने कुछ यही पीड़ा उजागर की है।

सेना पहुंची तक मिला खाना
भेजी सहायता
पीडितों की सहायता के लिए राज्य की आपदा प्रबंधन की टीम राहत सामग्री लेकर गुरूवार को रवाना हुई। राजस्थान राज्य बुनकर संघ ने राज्य सरकार को तीन हजार कंबल सौंपे। प्रभावितों सहायता के लिए राज्य के आईएएस अधिकारियों ने एक दिन का वेतन दिया है। राजस्थान आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू ने बताया कि जून माह के वेतन में से एक दिन का वेतन का पैसा मुख्यमंत्री सहायता कोष में दिया जाएगा। वहीं, नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी भी एक दिन का मूल वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराएंगे।


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