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Sunday, May 19, 2013

अब दिल्ली में खुलेंगी परतें


केन्द्रीय नेताओं के साथ होगी बैठक, नए निर्देश और कार्यक्रम पर सबकी निगाहें
जयपुर ! प्रदेश में राहुल गांधी के दो दिवसीय दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं की शिकायतों और संगठन की उपेक्षा को लेकर पार्टी फीडबैक में सामने आए खुलासों की परतें अब दिल्ली में खुलेंगी। इस दो दिवसीय दौरे की समीक्षा के लिए केन्द्रीय नेताओं के साथ बैठक के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान जल्दी ही दिल्ली जा सकते हैं। जिसमें विधानसभा चुनाव से पूर्व मंत्रियों के लिए सख्त गाइडलाइन और संगठन में बदलाव के फैसले भी हो सकते हैं।

 कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दो दिवसीय दौरे में करीब आठ हजार कांग्रेसियों से हुए सीधे संवाद के दौरान मंत्रियों का रवैया, सत्ता और संगठन में बिगड़ा तालमेल तथा टिकट और हार-जीत के लिए होने वाले सौदेबाजी की जमकर शिकायतें हुई हंै। इसमें करीब एक दर्जन मंत्री और सांसद-विधायक तो कार्यकर्ताओं के खास निशाने पर रहे। सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने हरियाणा और पंजाब में हुए संवाद के बाद शिकायतों की समीक्षा कर दोनों जगह सरकार और संगठन को खास निर्देश दिए थे।
जिसमें हरियाणा में मंत्रियों को कार्यकर्ताओं से लगातार मुलाकात करने खास नसीहत देते हुए उन्हें बदलने तक की चेतावनी दी गई थी। दोनों जगह संगठन की रिपोर्ट प्रत्येक सप्ताह भेजने के लिए कहा गया था। इन दोनों जगह के दौरे के बाद ही राहुल गांधी राजस्थान आए। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में हुए दौरे की समीक्षा अगले सप्ताह होगी। इसमें राहुल गांधी शिकायत करने वाले कार्यकर्ताओं को दिल्ल बुला सकते हैं। इन समीक्षा बैठकों में उन शिकायतों को भी शामिल किया जाएगा, जो पिछले दिनों राहुल गांधी के साथ हुई व्यक्तिगत मुलाकातों में कार्यकर्ताओं ने दी थी। इसके बाद गुटबाजी के बीच सत्ता और संगठन में टकराव की स्थितियों और मंत्रियों की कार्यशैली से भड़कते कार्यकर्ताओं की भावनाओं में बदलाव के लिए कर्नाटक फार्मूले की तर्ज पर राहुल गांधी किसी कार्यक्रम की घोषणा कर सकते हंै। राहुल गांधी मंत्रियों को केवल दिखावों से परहेज करके अपने क्षेत्रों में आमजन से जुडऩे का कार्यक्रम दे सकते हैं बल्कि संगठन को यह निर्देश दिए जा सकते हैं कि उम्मीदवार चुनने में कार्यकर्ताओं की राय ली जाए। इस समीक्षा बैठक में जिन मुद्दों पर फैसला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उनमें राजनीतिक नियुक्तियों में भेदभाव, भंवरी कांड के बाद जाट नेताओं में उपजी नाराजगी, अल्पसंख्यक उपेक्षा के साथ गोपालगढ़ प्रकरण को शांत करने का प्रयास, मंत्रियों पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और भ्रष्टाचार की शिकायतें अहम हैं।

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