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Friday, May 10, 2013

प्राण के घर पहुंचा फाल्के सम्मान


मुंबई। फिल्म जगत के सबसे प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी कलाकार को उसके घर जाकर सम्मानित किया गया हो। शुक्रवार को तकरीबन 12.45 बजे इस पुरस्कार के इतिहास में तब एक और अध्याय जुड़ गया, जब केंद्रीय सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री मनीष तिवारी ने वरिष्ठ अभिनेता प्राण के पाली हिल स्थित घर पहुंचकर उन्हें सम्मानित किया।
 स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलते 93 वर्षीय प्राण नई दिल्ली में 3 मई को आयोजित 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंचे थे।
'जिस देश में गंगा बहती है', 'मिलन', 'मधुमति', 'हीर रांझा', 'कश्मीर की कली' समेत दर्जनों फिल्मों में खलनायक की भूमिका में जान फूंक देने वाले प्राण को पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, प्रशस्ति पत्र, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल दी गई।
कुर्ता-पायजामा पहने प्राण व्हील चेयर पर थे। इस दौरान उनके बेटे सुनील और बेटी पिंकी सिकंद भी मौजूद थे। प्राण परिवार ने एक छोटी सी पार्टी भी आयोजित की थी, जिसमें मनीष तिवारी ने भी शिरकत की।
पिंकी सिकंद ने कहा, 'सरकार के कदम की इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और पापा के दोस्तों ने सराहना की है।' उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता प्राण को जंजीर का रीमेक बनाने पर कोई एतराज नहीं है। प्रकश मेहरा के बेटे अमित मेहरा रीमेक पर बात करने के लिए प्राण के पास आए थे। हालांकि, उन्होंने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन उन्होंने आपत्ति भी नहीं जताई। लता मंगेशकर के मुताबिक, देर से ही सही उन्हें सम्मानित किया जाना सही फैसला है। मनीष तिवारी ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसलिए उनके घर जाकर अवॉर्ड देना हमारी जिम्मेदारी थी।
इसी महीने 12 अप्रैल को इस पुरस्कार के लिए प्राण के नाम की घोषणा की गई थी। तब से फिल्म बिरादरी और प्राण को चाहने वाले मांग कर रहे थे कि उनके स्वास्थ्य के मद्देनजर उनको घर पर ही पुरस्कृत किया जाए। उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए स्टार अभिनेता मनोज कुमार ने सबसे पहले यह अपील की थी। उनकी अपील पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने उन्हें घर जाकर सम्मानित करने का फैसला किया।
छह दशक का फिल्मी करियर
प्राण का फिल्मी करियर छह दशक का है। इस दौरान उन्होंने करीब 350 फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाए। वह ऐसे पहले अभिनेता हैं, जिन्हें नकारात्मक किरदार निभाने के बावजूद हीरो के बराबर हैसियत मिली।
कहा जाता है कि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के करियर में मील का पत्थर साबित हुई 'जंजीर' में प्राण ने ही काम दिलाया था। मनोज कुमार की 'उपकार' से वह चरित्र किरदार की ओर मुड़ गए। उन किरदारों में भी उन्होंने कमाल की छाप छोड़ी।

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