बीकानेर, 9 जुलाई। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज एवं सम्बद्ध चिकित्सालय वर्ग के प्रधानाचार्य एवं नियंत्राक डॉ. के.सी.नायक ने सभी रेजीडेन्ट डाक्टरों से आग्रह किया है कि चिकित्सा सेवा के दौरान मरीजों के प्रति सहानुभूति रखते हुए धैर्य के साथ अपना कार्य संपादित करें। रेजीडेंट चिकित्सकों के साथ अशिष्टता एवं मारपीट जैसी घटना होने पर चिकित्सकों की मान, मर्यादा को ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रशासन दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का पूर्ण प्रयास करेगा।
डॉ.नायक ने एक बयान में बताया कि चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में कई बार रोगियों एवं उनके परिजनों के साथ चित्सकिकों को धैर्य रखते हुए अपना प्रथम कर्तव्य ’’ द हैल्थ ऑफ माई पैसेंट विल बी माई फ्रस्ट कॅन्सीडेªशन’’ ध्यान रखना चाहिए । इस तथ्य का लिखित घोषणा पत्रा प्रस्तुत करने पर ही चिकित्सक के रूप में मेडिकल कॉउसिंल में पंजीयन किया जाता है।
इसके अलावा पी.जी. कोर्स में प्रवेश के समय हड़ताल, कार्य बहिष्कार व सामूहिक अवकाश जैस कार्यों में शामिल नहीं की शपथ ली जाती है।
प्रधानाचार्य ने खेद जताते हुए कहा कि किसी भी तरह के विवाद या झगड़ा फसाद होते ही रेजीडेंट डाक्टर्स तुरन्त अपने चिकित्सा जैसे कार्य का बहिष्कार कर दते है जिससे आपातकाली सेवाएं सहित सभी चिकित्सा सेवाएं प्रभावित होती है। सभी रेजीडेंट चिकित्सकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके साथ रोगियों एवं उनके परिजनों द्वारा अशिष्टता पूर्ण व्यवहार किया जाता है तो उनका यह दायित्व है कि कॉलेज प्रशासन को 24 घंटें पूर्व सूचना दें। आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार तब तक नहीं करें जब तक की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती है। वैकल्पिक व्यवस्था होने से पूर्व कोई रेजीडेंट चिकित्सक अपने चिकित्सकीय कार्य का बहिष्कार करता है तो मरीज के स्वास्थ्य को होने वाली क्षति के लिए संबंधित रेजीडेंट चिकित्सक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा।
डॉ.नायक ने बताया कि जो रेजीडेंट चिकित्सक राजकीय सेवा में रहते हुए पी.जी.कोर्स कर रहे है वे राजस्थान सरकार के जिम्मेदार राजपत्रित अधिकारी भी है। उन्हें किसी भी स्थिति में हड़ताल, कार्य बहिष्कार, सामूहिक अवकाश जैसे कार्यों मंें शामिल नहीं होना चाहिए। उनका यह दायित्व है कि राजकीय कार्य को पूर्ण जिम्मेदारी से संपादित करें और कोई ऐसा कृत्य नहीं करें जिससे राजकीय कार्य, आपातकालीन चिकित्सा कार्य में बाधा उत्पन्न हो। चिकित्सा सेवा कार्य में बाधा उत्पन्न होने पर संबंधित चिकित्सक के खिलाफ राज्य सेवा नियम(आर.एस.आर.) अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी
बीकानेर, 9 जुलाई। गोडावण यानी ’’ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया या शर्मिले पक्षी के रूप में प्रसिद्ध गोडावण को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 सी के तहत प्रथम श्रेणी में शामिल किया गया है। गोडावण के शिकार पर 10 वर्ष की सजा तथा 25 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
संभागीय मुख्य वन संरक्षक ए.एस. गुरु ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत में बताया कि गोडावण को 1981 में राज्य पक्षी घोषित किया गया । यह पक्षी जैसलमेर के मरु उद्यान, सोरसन (बारा) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्रा में पाया जाता है। गोडावण को राज्य स्तर पर पूर्ण संरक्षण है । गोडावण या अन्य वन्य जीव के शिकार पर वन विभाग तत्परता से कार्य कर दोषी के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है।
उन्होंने बताया कि वन्य जीवों की हत्या करने वालों के खिलाफ विभागीय स्तर पर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाकर कार्यवाही अमल में ली जाती है। पिछले दिनों पक्षियों (गोड़ावण नहीं ) की सूचना मिलने पर उन्होंने उप वन संरक्षक श्रीगंगानगर, वन्य जीव बीकानेर एवं गश्तीदल को निर्देशित कर एक संयुक्त टीम बनाई। टीम ने पक्षियों के शिकार के आरोपी बलविन्द्र सिंह को गिफ्तार कर कार्यवाही की गई। गोडावन शिकार संबंधी किसी अन्य प्रकरण में मुख्य वन संरक्षक, जोधपुर द्वारा अपने स्टॉफ के साथ कार्यवाही की।
संभागीय मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि बीकानेर संभाग में गोडावण के शिकार की कोई सूचना नहीं है। उन्होंने आम लोगों से आग्रह किया कि बिश्नोई समाज की तरह हरिण व अन्य वन्य जीव, गोडावण या किसी वन्य जीव का कोई शिकार करता है तो उसकी सूचना तत्काल पुलिस व वन विभाग को दें। आम लोगों के सहयोग व सक्रियता से ही वन्य जीवों का संरक्षण संभव है।
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