जयपुर, 8 जुलाई। जेवरात पहनने की शौकीन महिलाएं अब जयपुर पुलिस के दावों के बीच सुरक्षित नहीं हैं। राजधानी में बेखौफ घूमते चेन लुटेरों ने शहर में दहशत फैला रखी है। गत ढाई सालों में ये चेन लुटेरे लगभग 56 लाख रुपए से अधिक का सोना लूट चुके हैं। पुलिस प्रशासन के आम आदमी की सुरक्षा में मुस्तैदी के तमाम दावों के बीच 471 महिलाएं इन चेन लुटेरों का शिकार हो चुकी हैं।
शिप्रापथ, बजाज नगर, वैशाली और जवाहर सर्किल जैसे दिनभर चहल-पहल से व्यस्त रहने वाले इलाके इन लुटेरों की सैरगाह में तब्दील हो चुके हंै। पुलिस प्रशासन इन पर अंकुश लगाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन रोज एक महिला के गले से बेखौफ अंदाज में तोड़ी जा रही सोने की चेन पुलिसिया दावों की हकीकत को आईना दिखाने का आधार है। मोटरसाइकिल सवार ये लुटेरे 2011 में 151, 2012
में 220 और जून 2013 तक करीब 100 महिलाओं के गले से सोने की चेन, मंगलसूत्र और जोल्या तोड़ कर ले गए। दुस्साहसिक अंदाज में वारदातों को अंजाम दे रहे शातिरों ने गत वर्ष के मुकाबले इस साल बीते 6 माह में चेन लूट की दोगुनी वारदातों को अंजाम दे दिया है। वर्तमान में सोने की कीमत करीब 26 हजार रुपए प्रति तोला है।
ऐसे में एक चेन की औसतन कीमत करीब 12 हजार रुपए से अधिक आती है, जो करीब आधा तोला वजन की होगी। जबकि मंगलसूत्र और जोल्या की कीमत करीब 20 से तीस हजार के लगभग आती है। शहर में बजाजनगर, मालवीय नगर, जवाहर नगर, जवाहर सर्किल, मानसरोवर, विद्याधर नगर, शास्त्रीनगर, भट्टाबस्ती, माणकचौक, ज्योतिनगर, वैशाली नगर, करणी विहार, करधनी, सोडाला, मुरलीपुरा और अशोक नगर में चेन स्नेचिंग की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। शहर पुलिस द्वारा समय-समय पर चेन स्नेचिंग को रोकने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ये प्रयास हमेशा विफल ही रहते हैं। पुलिस का कहना है कि इन घटनाओं को रोकने के लिए गश्त व्यवस्था बढ़ाई जाती है। इसके अलावा पंपलेट्स एवं अन्य प्रकार के समझाइश अभियान चलाए जाते हैं । इन सब के बीच जब पुलिस कार्रवाई करती है तो इन घटनाओं में कमी आती है, लेकिन पुलिस के सुस्त पड़ते ही चेन लुटेरे फिर से सक्रिय हो जाते हंै। काले रंग की बाइक की दहशतजयपुर में होने वाली चेन स्नेचिंग की अधिकांश घटनाओं में काले रंग की बाइक देखने में आती है। बदमाश काले रंग की बाइक पर सवार होकर आते हैं और घटना को अंजाम देकर भाग निकलते हैं। बाइकर्स लुटेरों के पास पावर इंजन वाली मोटरसाइकिल होती है। इसमें पल्सर, होंडा, टीवीएस सहित अन्य पावर इंजन वाले वाहनों का प्रयोग सबसे अधिक होता है। साफ्ट टारगेटचेन लुटेरों द्वारा चालीस से साठ साल की महिलाओं को टारगेट बनाया जाता है। ये महिलाएं अपना बचाव करने या लुटेरों का पीछा करने में असमर्थ रहती हैं। इसी कारण बदमाश उन्हें से आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। बढ़ती चेन लूट की घटनाओं के कारण आजकल नवविवाहिताओं व लड़कियों में जेवर पहनने का क्रेज कम हुआ है। आर्टिफिशियल ज्वैलरी का बढ़ा चलनलगातार बढ़ती चेन लूट की घटनाओं के कारण महिलाओं के मन में एक अजीब-सा डर समा गया है। इसी के चलते अब महिलाओं में आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनने का चलन बढ़ता जा रहा है। इस कारण अब महिलाएं जब भी घर से बाहर निकलती हैं तो आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनना ज्यादा पसंद करती हैं। इन घटनाओं को रोकने में नाकाम कमिश्नरेट पुलिस को लेकर महिलाओं में आक्रोश व्याप्त है।
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