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Wednesday, July 10, 2013

मंजूरा की मौज, नया घर व नूतन कपड़े

अमरसिंहपुरा में लाल क्वार्टर के सामने की गली में रहने वाली अल्प संख्यक वर्ग की मंजूरा बानों कीे मौज हो गई। सरकार के माई बाप बनने से कच्चा घर पक्का बन गया तथा नूतन कपड़े भी पहनने को मिल गए। खुले में शौच की बहुओं की शिकायत भी दूर हो गई,पक्का शौचालय भी सरकारी इमदाद से तैयार हो गया।

            मेहनत मजदूरी कर अपने 9 बच्चों का पेट पालने वाली मंजूरा मूल रूप से लूणकरनसर तहसील के गांव मनेरा की है। गांव में अकाल तथा पारिवारिक परिस्थितियों से खेती बाड़ी पशु पालन का धंधा बंद हो गया। करीब बीस वर्ष पूर्व बीकानेर में आकर गुजर बसर करने लगी। पति फत्तु खां के अस्वस्थ रहने पर स्वयं मंजूरा ने मजबूरी वश गली मोहल्लों में घूम-घूमकर सब्जी बेची, निर्माण श्रमिक के रूप में घरों में कार्य किया। जैसे तैसे जमीन का जुगाड़ कर कच्चा मकान बनवा लिया। मकान में पक्का शौचालय कमरों का अभाव था। आंधी, वर्षा, गर्मी  सर्दी में आधे कच्चे-पक्के मकान में गुजर बसर करना उसके बच्चों के लिए कठिन था।

            मुख्यमंत्राी शहरी बी.पी.एल. आवास योजना की सूचना मिलने पर मंजूरा बानो ने नगर निगम में आवास योजना का आवेदन किया। आवेदन के स्वीकृत होने पर कच्चे मकान में कमरा निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में उसे 20 हजार रुपए तथा 5हजार रुपए शौचालय के लिए मिले। इस राशि का उसने सदुपयोग किया तथा पक्का मकान शौचालय के साथ स्नानघर बनवा लिया। पक्के मकान  से अधिक उसके घर में बना शौचालय स्नानघर सार्थक है। बेटी-बहू खुले में शौच करने पर उसको हमेशा परिजनों रिश्तेदारों से शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता था।
            सरकार की राशि के साथ स्वयं मंजूरा उसके परिजनों ने भी घर में हुए निर्माण कार्यों में मजदूर की तरह कार्य कर कम राशि में अधिक कार्य कर लिया। कार्य में गुणवता सामग्री का भी ध्यान रखा गया। मंजूरा के लिंटल लेवल तक निर्माण कार्य पूर्ण होने पर द्वितीय किस्त का आवेदन एवं उपयोगिता प्रमाण पत्रा भी नगर निगम में जमा करवा दिया। अब दूसरी तीसरी किस्त मिलने पर वह अपने मकान में छपाई अन्य कार्य सुगमता से करवा सकेगी।
            मंजूरा ने बताया कि मुफलिसी की जिन्दगी मंें सरकार की ओर से दी गई सहयोग राशि उसके जीवन में सार्थक रही है। वर्षों का सपना पूरा हुआ है तथा अब बच्चों के साथ आराम से विपरीत मौसम परिस्थितियों में अपने पक्के मकान में रह सकेगी। बी.पी.एल. चयनित मंजूरा को साड़ी कम्बल के लिए 1500रुपए की राशि की भी इमदाद मिली इस इमदाद से वह फूली नहीं समा रही थी। अपने तथा अपनी बेटी तथा बच्चों के लिए कपड़े खरीद लाई। कपड़ों को दिखाने के लिए वह कलक्टर आरती डोगरा के पास भी चली गई तथा शासन प्रशासन को ध्न्यवाद दिया। 

            मंजूरा ने बताया कि आर्थिक दृष्टि से मुश्किल दिनों मेें मकान कपड़ों का सरकार का सहारा सराहनीय है। मैं दुआ करती हूं कि इस तरह की जन कल्याणकारी, आम लोगों के हितकारी योजनाएं लागू करने उसका क्रियान्वयन करने वाले सदा उन्नति करते रहें।

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